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अध्याय-5
उपसंहार
भौतिक एवं आध्यात्मिक चिकित्सा में उपयोगी मुद्राएँ प्राणिक हीलिंग विशेषज्ञ के. के. जायसवाल एवं एक्युप्रेशर चिकित्सज्ञ शरद कुमार जायसवाल, वाराणसी के अनुसार कौनसा रोग किस मुद्रा से ठीक हो सकता है? इससे सम्बन्धित जैन मुद्राओं का एक चार्ट प्रस्तुत किया जा रहा है।
इस सम्बन्ध में यह ध्यान देना जरूरी है कि रोगों से छुटकारा पाने हेतु जिन मुद्राओं का सूचन कर रहे हैं वे मुद्राएँ उन रोगों की चिकित्सा में मुख्य रूप से सहयोगी हैं किन्तु सभी मनुष्यों की शारीरिक एवं मानसिक प्रकृति भिन्न-भिन्न होने से कई बार अन्य मुद्राओं का प्रयोग करना भी आवश्यक हो जाता है अतः मुद्रा विशेषज्ञों से पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद ही निर्दिष्ट मुद्राओं से उपचार करना चाहिए।
किसी भी मुद्रा को निरन्तर कुछ दिनों तक करने पर उसका प्रभाव
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पड़ता है।
• मुद्रा का प्रयोग सही समझ एवं विश्वास पूर्वक करना अनिवार्य है।
• पूजा उपासना या विशिष्ट साधना के दौरान यदि सम्यक विधि से मुद्रा का प्रयोग किया जाए तो भावधारा निर्मल होने से वे शीघ्र लाभदायी होती हैं। शारीरिक रोगों के निदान में प्रभावी मुद्राएँ
अस्थमा : हृदय मुद्रा, संहार मुद्रा - 2, सौभाग्य मुद्रा।
अनिद्रा : महा मुद्रा, ध्वज मुद्रा, शूल मुद्रा - 1, पाश मुद्रा, खड़ग मुद्रा, माला मुद्रा, ज्ञान कल्पलता मुद्रा ।
आफरा : वज्र मुद्रा, चक्र मुद्रा, संहार मुद्रा, जिन मुद्रा, कल्पवृक्ष मुद्रा, ह्रीँकार
मुद्रा ।