Book Title: Jain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 409
________________ उपसंहार ...345 श्वसन तंत्र सम्बन्धी समस्याएँ (श्वास फूलना, बैचेनी, घबराहट, दमा, श्वास लेने में तकलीफ आदि)- गणधर मुद्रा, वृक्ष मुद्रा, पताका मुद्रा, सौभाग्य मुद्रा, कमण्डलु मुद्रा, हृदय मुद्रा, श्रीवत्स मुद्रा, तर्जनी मुद्रा।। स्वर यंत्र की समस्या (आवाज का दबना, मोटा होना, हकलाना आदि)- त्रिनेत्र मुद्रा, सिंह मुद्रा, अंग मुद्रा, योगिनी मुद्रा, शृंगार मुद्रा, नागफण मुद्रा, माला मुद्रा, ज्ञान कल्पलता मुद्रा। हृदय सम्बन्धी रोग (सदमा (Shock), Cardiac failure, Disorder of Heart Valves, हार्ट अटैक Heart infections disorders) महा मुद्रा, संहार मुद्रा-2, कमण्डलु मुद्रा, सर्प मुद्रा। हाथी पाव- दक्षिणावर्त शंख मुद्रा, चतुरमुख मुद्रा, त्रिद्वार जिनालय मुद्रा, सामान्य पद्म मुद्रा, पार्श्वनाथ मुद्रा, पद्म मुद्रा, पताका मुद्रा, नकार मुद्रा। मानसिक एवं भावनात्मक रोगों के निदान में प्रभावी मुद्राएँ क्रोध, पागलपन, घृणा, आसक्ति, अहंकार, अकेलापन आदि : कुम्भ मुद्रा, संहार मुद्रा-1, मुक्तासुक्ति मुद्रा, नाद मुद्रा, गदा मुद्रा, यथाजात मुद्रा, वीर मुद्रा, परशु मुद्रा, छत्र मुद्रा। नशे की लत, भावात्मक अस्थिरता, अतिविश्वास (Over Confidence) : अवगुण्ठन मुद्रा, नाद मुद्रा, कमण्डलु मुद्रा, प्रार्थना मुद्रा, प्रियंकरी मुद्रा, वज्र मुद्रा, कुन्त मुद्रा, मोक्ष कल्पलता मुद्रा। एकाग्रता की कमी, अविश्वास, अखुशहाल, स्वाभिमान की कमी : जिन मुद्रा, मंगल मुद्रा, चक्र मुद्रा, गदा मुद्रा, मुद्गर मुद्रा, पद्म मुद्रा, वीर मुद्रा, परशु मुद्रा, छत्र मुद्रा। गाली देना, चिल्लाना, बेहोशी, अनुत्साह, लज्जा, आत्म सम्मान की कमी : हृदय मुद्रा, महा मुद्रा, संहार मुद्रा-2, कमण्डलु मुद्रा, वृक्ष मुद्रा, सर्प मुद्रा, मुद्गर मुद्रा, आरात्रिक मुद्रा, प्रार्थना मुद्रा। आन्तरिक चिन्ता, अनुशासन हीनता, आत्महीनता, घबराहट, निष्क्रियता, अहंकार : नाराच मुद्रा, आवाहनी मुद्रा, शूल मुद्रा-2, परशु मुद्रा-1, वृक्ष मुद्रा, जिन मुद्रा, माला मुद्रा।

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