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276... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
अनुभूति करवाते हुए दिमाग को शांत एवं एकाग्र करती है तथा उदारता, सहकारिता आदि गुणों का जागरण करती है।
पीयूष, पीनियल एवं थायमस ग्रंथि के स्राव को नियंत्रित करते हुए यह मुद्रा मानसिक प्रतिभा, रक्त दबाव एवं प्रजनन अंगों पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। जीवन पद्धति एवं मनोवृत्तियों को नियन्त्रित रखती है।
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30. नेत्र मुद्रा
हाथों की वह संरचना, जिसके द्वारा नेत्र युगल की साक्षात प्रतीति हो, उसे नेत्र मुद्रा कहते हैं। मुनि ऋषिरत्नजी के उल्लेखानुसार यह मुद्रा बिम्बों के नेत्र अंजन (अंजनशलाका) के अवसर पर एवं प्रथम कपाट उद्घाटन (द्वारोद्घाटन ) के पश्चात दिखायी जाती है। प्रतिष्ठा में सम्मिलित जन समूह को आत्मवश करने के लिए भी इस मुद्रा का प्रयोग करते हैं। इस मुद्रा को अधोमुख करने से प्रतिमा संबंधी दोष टल जाता है।
इसका बीज मन्त्र 'ठ' है।
नेत्र मुद्रा