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मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ 259
• थायमस एवं पीनियल ग्रंथि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा कामेच्छा का नियंत्रण, नेतृत्व नियंत्रण एवं निर्णयात्मक शक्ति का विकास करती है।
18. कपाट मुद्रा
इस मुद्रा के द्वारा अर्धआच्छादित अथवा खुलते हुए कपाट की छवि दर्शायी जाती है, इसलिए इसे कपाट मुद्रा कहा गया है।
प्राप्त स्रोतों के अनुसार यह मुद्रा चक्षु उन्मिलन की सूचक है। इस मुद्रा को दिखाकर प्रतिष्ठा के समय नवीन बिम्बों का चक्षुन्मिलन किया जाता है। सामान्यतः कमल प्रतिष्ठा के अवसर पर भी कपाट मुद्रा की जाती है।
हिन्दू परम्परा में पूजा करने से पूर्व चावलों के चूर्ण से अष्टदल कमल बनाते हैं। उसी पर आराध्य देवी की स्थापना अथवा उसके स्थापन की मानसिक कल्पना कर पूजा-पाठ किया जाता है। दक्षिण भारतीय प्रतिदिन प्रात: काल में गृह द्वार के बहिर्भाग में अष्टदल कमल बनाते हैं।
इसका बीज मन्त्र 'औ' है।
कपाट मुद्रा