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आचारदिनकर में उल्लिखित मुद्रा विधियों का रहस्यपूर्ण विश्लेषण ...223
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कन्दुक मुद्रा सुपरिणाम
• शारीरिक स्तर पर इस मुद्रा में पाँचों तत्त्वों का संयोजन होने से अद्भुत शक्तियों का आविर्भाव होता है, परिणामतः शरीर निरोग एवं स्वस्थ रहता है।
शरीर में उष्णता बढ़ गई हो अथवा जल तत्त्व की कमी हो गई हों तो इस मुद्रा से जल तत्त्व और उष्ण तत्त्व समान स्थिति में आ जाते हैं।
• आध्यात्मिक दृष्टि से विषय-वासनाओं का साम्राज्य संकुचित होता है।
यह मुद्रा परिवार एवं समाज को शान्ति प्रदान करती है। प्रबल शत्रु भी इस मुद्रा को देखकर पानी जैसा ठंडा हो जाता है।
इस मुद्रा के अतिरिक्त फायदे शाल्मली मुद्रा के समान जानने चाहिए। 19. माला मुद्रा ____ जाप करने के साधन को माला कहते हैं। माला अनेक प्रकार की होती हैं। सामान्यतया सूत की माला श्रेष्ठ मानी गई है। प्रसंगानुसार रत्न, चंदन, स्फटिक, मोती, रजत निर्मित मालाओं का भी उपयोग होता है। प्लास्टिक की माला सर्वथा वर्ण्य है। जैन योग तन्त्र में जाप करने के सम्बन्ध में भी भिन्न-भिन्न