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आचारदिनकर में उल्लिखित मुद्रा विधियों का रहस्यपूर्ण विश्लेषण...221
शाल्मली मुद्रा
इस मुद्रा के प्रभाव से आत्मज्ञान स्वयं को प्रकाशित करता है अतः शाल्मली मुद्रा ज्ञान प्रकाशिनी है।
विधि
"बाहुद्वये परस्परं वल्लीवद्वेष्टिते कराङ्गुलीनां कंकतीकरणं शाल्मली
मुद्रा । "
दोनों बाहों को परस्पर लता सदृश वेष्टित करके हाथ की अंगुलियों को कंकती (कंघा) बनाने से जो मुद्रा निष्पन्न होती है, उसे शाल्मली मुद्रा कहते हैं। सुपरिणाम
• शारीरिक स्तर पर इस मुद्रा से साइनस सम्बन्धी समस्या दूर होती है। यह मुद्रा श्वास आदि की दुर्गन्ध, आखों की समस्या, शारीरिक कमजोरी आदि में लाभकारी है।
इससे हृदय सम्बन्धी रोग ठीक हो जाते हैं।