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विधिमार्गप्रपा में निर्दिष्ट मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप......85
शक्ति मुद्रा भौतिक दृष्टि से यदि देवी के बाल बिखरे हुए हों तो वे भयावह दिखती हैं। इस देवी की केशराशि विकीर्ण नहीं है, बंधी हुई है। शक्ति मुद्रा करते हुए इष्ट देवी के समक्ष कामना की जाती है कि आप भयावह रूप को कदापि प्रकट न करें, सज्जन व्यक्तियों के लिए सदैव मंगल मूर्ति के रूप में रहें। ___ इस तरह शक्ति मुद्रा अनेक हेतुओं से की जाती है। विधि
"परस्पराभिमुखहस्ताभ्यां वेणीबन्यं विधाय मध्यमे प्रसार्य संयोज्य च शेषांगुलीभिर्मुष्टिं बन्धयेत् इति शक्ति मुद्रा।"
दोनों हाथों को आमने-सामने करके अंगुलियों को एक-दूसरे में गूंथें, फिर मध्यमा अंगुलियों को ऊर्ध्व प्रसरित कर उन्हें परस्पर मिलाएं तथा शेष अंगुलियों की मुट्ठी बांधने पर शक्ति मुद्रा बनती है। सुपरिणाम
• शारीरिक दृष्टि से इस मुद्रा के द्वारा आकाश तत्त्व नियंत्रित रहता है