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212... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 12. धनुःसंधान मुद्रा
धनुः - धनुष, संधान-जोड़ना, ठीक से बिठाना अर्थात धनुष की डोरी पर बाण को अच्छी तरह साधना धनुःसंधान कहलाता है। धनुष एक प्रकार का शस्त्र है, जिसके द्वारा बाण को प्रक्षेपित किया जाता है।
प्राचीन भारत में सबसे बड़ा शस्त्र यही माना जाता था। महाभारत आदि में अधिकांश धनुष बाण का ही उल्लेख है, बिना धनुष के बाण चलाना असंभव होता है। उस युग में ब्रह्मास्त्र, पार्श्वपथ अस्त्र आदि भी होते थे, किन्तु उनका प्रयोग हमेशा नहीं होता था। ये शस्त्र कठोर परीक्षा के बाद मिलते थे, किसी वीर की तपस्या से प्रसन्न होकर ही दिये जाते थे। इन शस्त्रों की खासियत यह थी कि ये कभी निष्फल नहीं जाते। रामायण में प्रसंग आता है कि जब हनुमान लंका गये, उन पर बहुत से अस्त्रों का प्रयोग किया गया, सब निष्फल हुए। अन्ततः रावण के ज्येष्ठ पुत्र मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, तब हनुमान बंधन में आ पाये। इस तरह धनुष-बाण का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है।
धनुःसंधान मुद्रा