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216... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
• एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रंथियों के स्राव को संतुलित रखते हुए संचार व्यवस्था, हलन चलन, श्वसन, अनावश्यक पदार्थों के निष्कासन, ब्लड शूगर, ब्लड प्रेशर आदि के संतुलन में तथा कामेच्छा के नियंत्रण में यह मुद्रा सहायक बनती है।
14. शक्ति मुद्रा
शक्ति शब्द सामर्थ्य एवं क्षमता वाचक है। संभवतः शक्ति मुद्रा से आत्मिक शक्ति का अभ्युदय होता है और सुषुप्त शक्तियाँ अपने मूल स्वरूप को प्राप्त करती हैं। इसलिए इसका नाम शक्ति मुद्रा है। आचारदिनकर के अनुसार यह मुद्रा प्रतिष्ठा आदि कार्यों में उपयोगी
बनती है।
विधि
“करद्वयमध्यमासावित्र्योरप्रायोजितयोः शक्ति मुद्रा । "
दोनों हाथों की मध्यमा एवं तर्जनी अंगुलियों को आगे-आगे योजित करने
शक्ति मुद्रा