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विधिमार्गप्रपा में निर्दिष्ट मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप......169 विशेष
• एक्यूप्रेशर अनुभवियों के अनुसार प्राणिक ऊर्जा की प्राप्ति हेतु यह मुख्य मुद्रा है।
• इस मुद्रा के दाब बिन्दु निमोनिया, टी.बी., सफेद दाग, मुँह से खून आना, खाली पेट उल्टी होना, लघु श्वास, छाती दर्द, कन्धा दर्द, सन्धिवात, गठिया आदि बीमारियों से छुटकारा दिलाते हैं। 66. अक्षसूत्र मुद्रा
संस्कृत भाषा का अक्ष शब्द विविध अर्थों में प्रयुक्त होता है। अक्ष का एक अर्थ रुद्राक्ष है तथा सूत्र का मतलब डोरी (धागा) से है। धागे में पिरोये गये रुद्राक्ष को अक्षसूत्र कहा जाता है। अक्षसूत्र पहनने अथवा जाप करने में उपयोगी बनता है। यहाँ अक्षसूत्र के द्वारा जाप करने का प्रयोजन सिद्ध होता है।
प्रतिष्ठा के अवसर पर जाप का प्रसंग बहुत बार उपस्थित होता है। दूसरे, रुद्राक्ष के मणके इष्ट कार्यों की सिद्धि हेतु उत्तम माने गये हैं। फिर अक्षसूत्र मुद्रा
अक्षसूत्र मुद्रा