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विधिमार्गप्रपा में निर्दिष्ट मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप... ... 171
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बिम्ब मुद्रा
बिम्ब, यह प्रतिमा का सूचक शब्द है। जैन आम्नाय में जिन प्रतिमा को बिम्ब भी कहते हैं। संस्कृत कोश में भी बिम्ब का एक अर्थ 'प्रतिमा' किया गया है। इस आधार पर अरिहंत परमात्मा की प्रतीकात्मक मुद्रा बिंब मुद्रा कहलाती है।
प्रतिष्ठा प्रसंग पर यह मुद्रा स्थापना निक्षेप का आरोपण करने अथवा अरिहंत शक्ति को बिम्ब में संक्रमित करने के उद्देश्य से दिखायी जाती है। विधि
"पद्ममुद्रैव प्रसारितांगुष्ठसंलग्नमध्यमांगल्यग्रा बिंबमुद्रा । " दोनों हाथों की अंगुलियों को पद्म मुद्रा की भाँति प्रसारित करते हुए मध्यमा अंगुली के अग्रभाग को अंगुष्ठ से संलग्न करने पर बिम्ब मुद्रा बनती है।
बिम्ब मुद्रा
सुपरिणाम
शारीरिक दृष्टि से यह मुद्रा हृदय की सुरक्षा के लिए अत्यन्त उपयोगी है। यह जठराग्नि को प्रदीप्त कर उदर सम्बन्धी विकारों का शमन