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168... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
वरद मुद्रा सुपरिणाम
• शारीरिक स्तर पर इस मुद्रा के द्वारा अभय मुद्रा के सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
इस मुद्रा से अग्नि तत्त्व और जलतत्त्व अधिक सक्रिय बनते हैं तथा इनमें रासायनिक परिवर्तन होता है।
इस मुद्रा के परिणामस्वरूप शरीर में अधिक सर्दी या अधिक गर्मी हो तो वह समस्थिति में हो जाती है, परिणामत: चित्तवृत्तियाँ शान्त एवं निराकुल बनती हैं जो आशीर्वाद के रूप में अन्य को लाभ पहुँचाती है।
• आध्यात्मिक स्तर पर साधक के मन में उच्च भावनाओं का वेग बढ़ता है।
मणिपुर चक्र जागृत होने से साधक की समस्त मनो-दैहिक व्याधियाँ और मनोविकृतियाँ नष्ट हो जाती हैं। इससे स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय होने के कारण साधक को वाक्सिद्धि की प्राप्ति होती है।