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विधिमार्गप्रपा में निर्दिष्ट मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप......135 विशेष
• एक्यूप्रेशर मेरीडियनोलोजी के अनुसार अंजलि मुद्रा एपेन्डिसाइटिस, मुँह में थूक का अधिक बनना, छोटी अंगुली में जकड़न, दौरा पड़ना, आँख सम्बन्धी विकार, कर्ण सम्बन्धी विकार, पेट में कीड़े होना, गर्दन दर्द आदि के निवारण में उपयोगी मानी गई है।
• इस मुद्रा के दाब बिन्दु पित्ताशय को सन्तुलित रखते है।
• इससे हाथों का दर्द, चक्कर आना भी दूर होता है। 49. कपाट मुद्रा
दरवाजे को कपाट कहते हैं। द्वार का आवरण करने वाला दरवाजा कहलाता है। इस मुद्रा में किंवाड बन्द करने जैसी आकृति बनती है इसलिए इसका नाम कपाट मुद्रा है।
विधिमार्गप्रपा में उल्लिखित कपाट मुद्रा विविध रहस्यों को लिए हुए हैं। लौकिक जीवन में ढोर-डांगर-कुत्ते आदि पशुओं से, धूल-वर्षा आदि
कपाट मुद्रा