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106... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 35. परशु मुद्रा (द्वितीय) ___ द्वितीय परशु मुद्रा का प्रयोग विशिष्ट अतिथि के रूप में आमन्त्रित विद्यादेवी का समुचित सम्मान तथा अर्पण आदि के द्वारा उसे तुष्ट करने एवं आशंकित विघ्नों का निवारण करने के उद्देश्य से किया जाता है। विधि
___ "पताकाकारं दक्षिणकरं संहतांगुलिं कृत्वा तर्जन्यांगुष्ठाक्रमणेन परशुमुद्रा द्वितीया।"
दाहिने हाथ की मिली हुई अंगुलियों को पताका के समान फैला करके एवं तर्जनी अंगुली को अंगूठे के द्वारा आक्रमित करने पर द्वितीय परशु मुद्रा बनती है।
परशु मुद्रा-2 सुपरिणाम
• शारीरिक दृष्टि से यह मुद्रा श्वास पर नियन्त्रण करती है तथा श्वास को मन्द कर तत्सम्बन्धी रोगों का शमन करती है। यह पिट्युटरी एवं पिनियल