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82... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
सोलह विद्यादेवियों की पूजा आदि में उपयोगी मुद्राएँ 25. शंख मुद्रा
विश्व के समस्त जल-जन्तुओं में एकमात्र ‘शंख' ही ऐसा है जो रूपाकार में कुरूप होने पर भी सर्वाधिक पूज्य और मान्य है। हाँ, यह अवश्य है कि उसकी मान्यता और पूजा हिन्दू परम्परा में सर्वोच्च रूप से है। प्राचीन युग में भारतीय समाज वर्ण-व्यवस्था के अनुसार चार विभागों में वर्गीकृत था - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। वर्ण (रंग) के आधार पर शंखों का भी वर्गीकरण कर दिया था और प्रत्येक वर्ग अपने वर्ण का शंख प्रयोग में लाता था। ब्राह्मण समुदाय के लिए श्वेतवर्णी शंख प्रयोज्य माना गया है। क्षत्रियों के लिए लालिमायुक्त शंख का विधान है। वैश्य समाज के लिए पीताभ शंख ग्राह्य बताया गया है और शूद्रों के लिए श्यामवर्णीय शंख प्रयोजनीय कहा जाता है।
शंख को विजय, सौख्य, समृद्धि, शुभ और यश प्राप्ति का प्रतीक माना गया है। सामाजिक जीवन में लगभग सभी अवसरों पर शंख ध्वनि को मान्यता
शंख मुद्रा