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70... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
__ जयादि देवताओं की पूजा करने में उपयोगी मुद्राएँ 19. गोवृष मुद्रा
गोवृष का सामान्य अर्थ है श्रेष्ठ वृषभ। पूजा-प्रतिष्ठा आदि के अवसर पर गोवृष मुद्रा दिखाने का प्रयोजन क्या हो सकता है यह विचारणीय है?
यदि इस मुद्रा के रहस्यात्मक अर्थ पर विचार करते हैं तो ज्ञात होता है कि मंगल प्रसंगों में आमंत्रित एवं सम्यक्त्वी गुणों से सुशोभित देवों को गोवृष की भाँति श्रेष्ठ माना गया है। ___गोवृष मुद्रा के द्वारा देवों को सूचित करते हैं कि आप हमारे लिए सम्माननीय हैं। इस मुद्रा के माध्यम से यह भाव भी दर्शाते हैं कि आप अत्यन्त शूरवीर, शक्तिशाली, समृद्धिवन्त, विघ्नविनाशक और असीम ऐश्वर्य के स्वामी हैं। इस तरह प्रशंसक भावों की अभिव्यक्ति करके तुष्ट करते हैं और आशंकित विघ्नों का निवारण करते हैं।
लोकभाषा में भी शूरवीर को पुरुष सिंह, शक्ति सम्पन्न को पुरुषवृषभ आदि
गोवृष मुद्रा-1