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68... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 18. अवगुण्ठन मुद्रा
अवगण्ठन का सामान्य अर्थ होता है ढकना। संस्कृत कोश में निम्न अर्थ बताये गये हैं- बूंघट निकालना, छिपाना, आच्छादित करना आदि।
इन अर्थों के आधार पर अवगुण्ठन शब्द के अनेक अभिप्राय हो सकते हैं। जैसे
1. अपने शरीर के चारों ओर विशेष सुरक्षा की भावना से आवरण करना, जिससे दुष्ट देवकृत उपद्रवों से किसी तरह का आघात न पहँच सके।
2. सम्पूर्ण शरीर को आत्मशक्ति रूपी कवच से ढक लेना, ताकि भौतिक शक्तियाँ उस पर हमला न कर सकें।
3. आच्छादित करना या धूंघट निकालना बाहरी अवगण्ठन है और शभ भावना का कवच धारण करना आभ्यन्तर अवगण्ठन है। इससे अध्यात्म की सुरक्षा भी होती है।
यह ध्यातव्य है कि देवी-देवताओं का वास पवित्र वातावरण में ही होता है। दूषित वायुमण्डल से अत्यन्त दूर रहते हैं। अत: जिस क्षेत्र में हम देवशक्ति को अवतरित करना चाहते हैं वह स्थान विशेष और अनुष्ठान में सम्मिलित होने वाला मानव समूह सब कुछ स्वच्छ होने चाहिए। अवगुण्ठन मुद्रा करते हुए यह संकल्प किया जाता है कि बाह्य धूल कणों से शरीर गन्दा न हो तथा क्रोधादि
अवगुण्ठन मुद्रा