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66... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 17. निरोध मुद्रा
निरोध का शाब्दिक अर्थ है रोकना। सांकेतिक अभिप्राय से निम्न अर्थ भी किये जा सकते हैं
1. अनुष्ठान को सफल करने के लिए चित्त की समस्त वृत्तियों को रोकना।
2. सीमा निर्धारण करना यानी देवी-देवताओं के योग्य स्थान का निर्धारण करते हुए अन्य के लिए उस जगह में प्रवेश निषिद्ध कर देना। ___3. तर्जनी अंगुली के द्वारा देवी-देवताओं के लिए अयोग्य क्षेत्र का प्रतिषेध करते हुए तद्योग्य स्थान का निर्धारण करना।
लौकिक व्यवहार में भी प्रतिष्ठित व्यक्ति को अच्छे स्थान पर बिठाते हैं जबकि सामान्य व्यक्ति के लिए ऐसा नहींवत होता है। देवता शक्तिशाली और समृद्धिशाली होते है तथा अवधिज्ञान के उपयोग से सुकृत कार्यों में सहयोगी भी बनते हैं। दूसरा तथ्य यह है कि जिन देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। उनका स्थान निर्धारित हो तो फल आदि सामग्री भी चढ़ा सकते हैं अन्यथा
निरोध मुद्रा