Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ Ra तपागच्छ के अधिष्ठायक श्री मणिभद्र वीरजी का जीवन-चरित्र ___ इस संसार में प्रत्येक शुभ वस्तु के कोई न कोई अधिष्ठायक होते हैं / अधिष्ठायक देव समय आने पर श्रमण-श्रमणियों की, श्रावक-श्राविकाओं की सहायता करते हैं। जैन शासन में भी अनेक आचार्य भगवन्तों ने गुरु भगवन्तों ने, शासन-रक्षक अधिष्ठायक देव-देवियों और इन्द्रों ने जब-जब भी शासन प्रभावना तथा शासन रक्षा का अवसर आया तब समाधि हेतु प्रत्यक्ष या परोक्ष रीति से जिनशासन की महान सेवा की है। वर्तमान काल में प्रगट प्रभावी विघ्नों का हरण करने वाली, इच्छाओं की पूर्ति करने वाली पुरुषादानी श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की मूर्ति यदि हमें प्राप्त हुई है तो माता पद्मावती की सहायता से / माँ चक्रेश्वरी और विमलेश्वर देव ने नवपद के आराधक महाराजा श्रीपाल के जीवन में घड़ी-घड़ी आने वाले विघ्नों को दूर किया / नवांगी टीकाकार महर्षि आचार्यदेव श्री अभयदेवसूरिजी के कोढ़ रोग को शासन देवी ने दूर किया था / नमिऊण स्तोत्र के रचयिता श्री मानतुंगसूरिजी की मानसिक अस्वस्थता के समय धरणेन्द्र देव स्वयं पधारे थे और अनशन कर रहे गुरुदेव को रोका था / युग प्रधान वजस्वामीजी को देवों ने आकाशगामिनी विद्या तथा वैक्रिय लब्धि अर्पण की थी जिसके बल से उन्होंने खूब शासन प्रभावना के कार्यों को किया था / 17