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जाणवा. अत्रे आलोयणनो प्रसंग होवाथी तेने लगतुं वर्णन व्यवहारवृत्ति तथा जीतकल्प प्रमुख ग्रंथने अनुसारे करतां कहे छे के आलोयण आपनारना * बे प्रकार छे– (१) आगमव्यवहारी अने (२) श्रुतव्यवहारी. आगमव्यवहारी छ प्रकारनां छे–(१) केवलज्ञानी, (२) मन:पर्यवज्ञानी, (३) अवधिज्ञानी, (४) चौदपूर्वी, (५) संपूर्ण दशपूर्वी अने (६) नवपूर्वी. आ बधा प्रत्यक्ष ज्ञानवाळा छे एटले जे प्राणीने जेवो अतिचार लाग्यो होय ते संपूर्ण जाणे. तेमनी पासे आवी कोई पण व्यक्ति पोताने लागेला अतिचारो पैकी कोई अतिचार कहेतां भूली जाय अगर तो छुपावे ते समये ते पोते विचारे के-आने हुं तेनी भूल कहीश अने ते स्वीकारीने आलोयण लेशे तो तेने तेनी भूल कहे अने आलोयण आपे. वळी विचारे के-आ पोतानी भूल कबूलशे नही अने सत्य बोलशे नही, तो तेवी व्यक्तिने कांई पण कहे नही तेमज आलोयण पण न आपे. बीजा श्रुतव्यवहारी छे ते छेदादि ग्रंथने जाणनारा होय छे. पोतानी पासे आलोयण लेवा आवनारने तेओ त्रण वखत पूछीने खात्री करे छे के तेणे कंई कपट तो कर्यु नथीने. आलोयण लेनार कहे में सांभळ्युं पण अवधार्यु नथी. बीजी वार कहे सांभळ्यु, पण निद्रानो समय थयो होवाथी बराबर उपयोग रह्यो नथी त्यारे त्रीजी वार पूछे अने उपयोगपूर्वक बराबर कहे त्यारे छेदादिग्रन्थने अनुसारे तेने आलोयण आपे. जो आलोयण लेनार कपट राखे, भूलचूक के मायाप्रपंच करे तो तेने समजाववा निशीथचूर्णीना वीशमा उद्देशानुं नीचे प्रमाणे दृष्टांत कही संभळावे
कोई राजाने सर्व लक्षणयुक्त एक अश्व हतो. ते दोडवामां अत्यंत वेगवाळो अने नदी, पर्वत आदि उल्लंघन करवामां अत्यंत चतुर तेमज शक्तिशाळी हतो. ते घोडाना आवा गुण-सामर्थ्यथी अन्य कोई पण राजा आ राजाने जीती शकवा समर्थ थतो नही. उलटुं आ राजाए बीजा अनेक राजाओने जीती खंडिया राजा बनाव्या, अने तेमनी पासे पोतानुं कार्य करावे. कोई पण राजानी आ राजा सामे थवानी के तेनी आज्ञानु उल्लंघन करवानी हिम्मत चालती नही. आवी परिस्थितिथी खंडिया राजाओ हृदयमां घणो ज परिताप पामवा लाग्या. कोई पण हिसाबे आ दुःख निवारण करवानो निर्णय को. एक राजाए सौ सामन्त राजाओने एकठा करी तेनो उपाय पूछ्यो त्यारे केटलाके का के–“जो अश्वनो विनाश करवामां आवे तो आपणी मनसिद्धि थाय, कारण के ते अश्वना उत्तम लक्षणोने अंगे ज ते राजा आपणो पराभव करे छे, परंतु ते अश्वनो घात करवो ते सरळ के सुगम कार्य नथी; कारण के ते अश्वने तो किल्लामां पूरी राखवामां आवे छे अने ते कोटनी फरतां घणा ज माणसोनो पहेरो रहे छे तेथी आ अत्यंत कठिन काम कोई करी शकशे नहि.” तेवामां एक बहादुर पुरुष राजा समक्ष आवीने कहेवा लाग्यो के–“हे राजन् ! ते अश्वने तो कोई रीते त्यांथी दूर करी शकाय तेम नथी, परंतु जो तमे आज्ञा करो तो हं तेने मारी नाखं." द्वेषी राजाए का-“भले तेम करो. एम करवाथी पण आपणो हेतु सरशे. ते घोडो तेनो पण नहीं रहे अने बीजाना उपयोगमां पण नहीं आवे माटे कोई पण प्रकारे तेनो घात करवानो उद्यम कर.” राजाज्ञा सांभळी ते पुरुष अश्वना स्वामी राजानी पासे गयो अने तेनी सेवाभक्ति करवा लाग्यो. तेनी अत्यंत सेवाभक्ति, सुहृदयता अने आज्ञांकितपणुं जोई राजाने पण तेना पर विश्वास आव्यो एटले तेने योग्य वेतन आपी नोकरीमां * आज ग्रंथमां आगळ पांच प्रकार पण दर्शावेल छे.
श्रीगच्छाचार–पयन्ना– ४३