Book Title: Gacchayar Ppayanna
Author(s): Vijayrajendrasuri, Gulabvijay
Publisher: Amichand Taraji Dani

View full book text
Previous | Next

Page 233
________________ रही शके? त्यारे बाकीना त्रणे धूर्तो बोल्या-भाई, तेमां शुं आश्चर्य छे? तें महाभारत सांभळ्यु नथी? तेमां का छे के-पहेला आ जगत् जळमय हतुं. तेमां एक इंडं उत्पन्न थयु. तेमांथी पर्वत, वन, नगर, सर्व उपज्यु. जेम इंडामां सर्व समा| तेम तारी कांबळमां गायो समाई. वळी तुं कहे छे के-ढींकणना पेटमां अजगर, अजगरना उदरमां बकरी, बकरीना पेटमां चीभडं अने चीभडामां गोवाळ, गाय विगेरे केम समाई शके? तेनुं कारण ए छे के-विष्णुना पेटमां सुर, असुर, तिर्यंच, वन, पर्वतादिक सर्व समाणा, ते विष्णु देवकीजीना उदरमा रह्या, देवकी पण शय्यामां समाया. आ सर्व पुराण कथा साची होय तो तारी वात केम असत्य मनाय? बाद शशक कहेवा लाग्यो के-अमे खेतरमा तल वाव्या. शरद् ऋतुमां एटले आसो मासमां अमे तल कापवा गया त्यारे जोयुं तो तलनुं झाड एवं विशाळ थयेलु के-कुहाडाथी कापीए तो पण कपाय नहीं तेथी हुं ते झाडनी चारे तरफ भमवा लाग्यो तेवामां एक हाथी त्यां आव्यो अने मने मारवा माटे दोड्यो एटले हुं नासवा लाग्यो, परंतु कोई पण आश्रयस्थान न मळवाथी हुं ते तलना झाड ऊपर चढी गयो. हाथी त्यां आव्यो पण हुं ऊपर होवाथी कंई करी शक्यो नहीं एटले गुस्से थईने तलना झाडने सुंढमां पकडीने धूजाववा लाग्यो. आम थवाथी झाड ऊपरना तल मेघवृष्टिनी जेम नीचे खरवा लाग्या अने तेमां हाथी चारे तरफ फरवाथी घाणीमां पीलाय तेम तल पीलाई गया. तेलनी महानदी वहेवा लागी. पृथ्वी ऊपर कचरो जामी गयो तेमां हांथी खुंची गयो अने मृत्यु पाम्यो एटले में नीचे उतरी ते हाथीनुं चर्म लई लीधुं. तेनो एक दडो बनाव्यो. मने भूख लागी होवाथी भार प्रमाण (पुष्कळ) खोळ खाधो अने दश घडा तेल पीएं. पछी तेल भरेलो दडो खभा ऊपर लईने हुं गाम तरफ चाल्यो. गाम बहार झाड ऊपर ते दडो मूकीने हुं घरे गयो. पुत्रने का के-गाम बहार झाड ऊपर दडो मूक्यो छे ते लई आव. मारो पुत्र गयो तो खरो पण तेने दडो मळ्यो नहीं एटले आलुं झाड उपाडीने घरे आव्यो. ते तेलनो दडो घरमां मूकीने अने ते झाड जोईने चाल्यो आq छु. बोलो भाईओ, आ वात साची के नहीं ? बधा धूर्तोए का के- तें कह्यं ते सत्य छे. त्यारे तेणे पुन: का के-कई रीते साची ते जणावो. बधा धूर्तीए का के-आवी घटना पूर्वे बनी गई छे. महाभारत तथा रामायणमां अमे सांभळी छे. का छे के-“तेषां कटतटभ्रष्टै-गजानां मदबिन्दुभिः । प्रावर्तत नदी घोरा, हस्त्यश्वरथवाहिनी ॥१॥" अर्थात् राम ज्यारे युद्ध करवा उद्युक्त थया त्यारे तेमनी साथे जे हाथीओ हता तेना गंडस्थळमाथी एटलो बधो मद झयों के तेनी नदी वहेवा लागी अने तेना प्रवाहमां हाथी, घोडा तथा रथो तणाई गया. आवी रीते मदजळनी नदी वही हती तो तें जे तलना तेलनी नदी वहेवानी वात करी तेमां आश्चर्य जेवू शुं छे? वळी तें कां के-में भार प्रमाण खोळ खाधो अने दश घडा तेलना पीधा, परंतु तेमां कई विस्मयजनक नथी. भीमे बक राक्षसने हण्यो त्यारे तेना बलि निमित्ते आवेल एक पाडो, सोळ खांडी अनाज अने मदिराना एक हजार घडा पीधा हता. वळी रावणनो भाई कुम्भकर्ण मदिराना एक हजार घडा पीतो अने अनेक मनुष्य तथा पशुओनुं भक्षण करी जतो तो तें कहेली वात खोटी केम कहेवाय? वळी तें तलना झाडनी वात करी पण पुराणमां तो अडदना वृक्षनो तोल कर्यानो उल्लेख छ एटले तेमां पण कंई आश्चर्यकारक नथी. वळी तें दडो श्रीगच्छाचार-पयन्ना- २१८

Loading...

Page Navigation
1 ... 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336