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प्रवचन-७५
२६ परन्तु एक दिन ऐसा आया कि अय्यु पर घोर आपत्ति गिर पड़ी। गाँव में प्रतिवर्ष 'देवी मरियम्मा' की वार्षिक पूजा होती थी। वार्षिक पूजा में भैंसे का वध किया जाता था। वह वार्षिक पूजा का दिन नजदीक था। अय्यु ने सोचा : "देवी की पूजा में पशुबलि नहीं देना चाहिए। मुझ से तो वह देखा भी नहीं जाता। निर्दोष पशु की हिंसा बंद करनी चाहिए। अय्यु के हृदय में करुणा का सागर उमड़ने लगा। उसने गाँव में जाहिर करवाया : देवी की वार्षिक पूजा में पशुबलि की प्रथा बंद की जाती है। अब देवी को कोई भी व्यक्ति पशु की बलि नहीं देगा। ___ गाँव के लोगों में रोष फैलने लगा। लोग चिन्ता करने लगे। यदि देवी को पशुबलि नहीं दी जायेगी तो देवी का प्रकोप होगा। सारे गाँवों के लोगों को घोर आपत्ति सहनी पड़ेगी। अय्यु के कहने मात्र से पशुबलि की प्रथा कैसे बंद हो सकती है?
लोग चाहते थे : देवी को पशुबलि देनी चाहिए।
अय्यु चाहता था : पशुबलि की प्रथा बंद होनी चाहिए | उसने लोगों की इच्छा का अनुसरण नहीं किया, चूंकि वह इच्छा धर्मविरुद्ध थी। उसने संकल्प कर लिया पशुबलि की प्रथा को बंद करने का। ___ गाँव में लोग इकट्ठे हुए। धर्म के नाम पर मर-मिटने को तैयार हुए। सब के हाथों में लकड़ियाँ थीं। अगवानी की गुल्ला ने। सब चल पड़े अय्यु के घर की ओर | रात्रि का समय था । अय्यु अपने परिवार के साथ घर में सोया हुआ था। गुल्ला ने घर का दरवाजा खटखटाया । अय्यु उठा । एक हाथ में लालटेन और दूसरे हाथ में रिवोल्वर लेकर दरवाजा खोला।
लालटेन के प्रकाश में उसने लोगों की भीड़ को देखा। सबसे आगे गुल्ला को देखा । 'हम देवी को पशुबलि देंगे ही देंगे...।' लोग जोर-जोर से चिल्लाये। गुल्ला ने लोगों को उकसाया : 'घुस जाओ घर में और लूट लो इसकी मालमिलकत को...।'
अय्यु ने रिवोल्वर फेंक दी। परिवार के साथ घर से बाहर निकल गया । पशुओं को बाड़े में से छोड़ दिया...। इधर किसी ने अय्यु के घर में आग लगा दी। अय्यु मौन खड़ा रहा। लोगों ने घर की संपत्ति लूट ली थी... घर जल रहा था। लोग सब अपने-अपने घर चले गये थे। ___ अय्यु का दूसरा घर, नदी पर जो बाँध बँधा हुआ था, उसके पास था। परिवार के साथ अय्यु उस मकान में रहने को चला गया।
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