Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 4
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 209
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-९२ २०१ ज्ञान से विज्ञान तक की यात्रा : ज्ञान को विज्ञान बनानेवाली बुद्धि चाहिए। ज्ञान विज्ञान तभी बनता है जब तीन दोषों से ज्ञान मुक्त होता है। ये तीन दोष हैं : संदेह, विपर्यय और अनध्यवसाय | संदेह यानी शंका । विपर्यय यानी विपरीत बोध । अनध्यवसाय यानी अनुपयोग। ___ जो भी ज्ञान प्राप्त करें, उस पर आप चिंतन-मनन करें। चिंतन-मनन करते हुए आपके मन में अनेक शंकाएँ पैदा होंगी और उन शंकाओं का समाधान भी आप करते रहेंगे। कोई शंका ऐसी भी पैदा हो सकती है कि जिसका समाधान आप स्वयं नहीं कर सकते हैं। तब आपको विशिष्ट ज्ञानी पुरुष के पास जाकर विनम्रता से विनती करनी चाहिए कि : 'मैंने इस विषय पर बहुत चिंतन-मनन किया, परन्तु मेरी इस शंका का समाधान नहीं हो पाया है, आप ही मेरी शंका का समाधान कर सकते हैं।' ___ वे ज्ञानीपुरुष आपकी शंका का समाधान करेंगे। आपकी समझ विपरीत होगी तो सुधार करेंगे। आपको मन की एकाग्रता से, पूर्ण उपयोग से सुनना होगा। सुनकर, उस विषय की धारणा करनी होगी। स्पष्ट बने हुए विषय (Subject) को स्मृति में भर लेना होगा। ___ एक विषय (Subject) को लेकर, 'विज्ञान' तक आपको ले जाता हूँ। ध्यान से सुनना। मन का उपयोग मेरी बात में रखना। तीर्थंकर भगवंतों ने कहा है : 'धर्म का मूल, धर्म का लक्षण अहिंसा है।' यह बात आपने सुनी, श्रवण किया। आपने मान लिया इस बात को, ग्रहण किया। आपने याद रख लिया : 'धर्म का मूल, धर्म का लक्षण अहिंसा है।' __इस ज्ञान को विज्ञान बनाने के लिए आपको चिंतन करना होगा। 'अहिंसा' शब्द में मूल शब्द है हिंसा । 'अ' तो निषेध में लगा है। पहला प्रश्न मन में उठता है : हिंसा किसको कहते हैं? उत्तर मिलता है : प्रमत्तयोगात् प्राणव्यपरोपणं हिंसा। प्रमाद से किसी जीव के प्राणों का नाश करना हिंसा है। फिर प्रश्न उठता है : 'प्रमाद' का अर्थ क्या? उत्तर मिलता है : विषय-कषाय प्रमाद है। वैषयिक सुखों की स्पृहा से प्रेरित होकर जीवात्मा किसी जीव को मारता है तो वह हिंसा है। क्रोध से, मान से, माया-कपट से या लोभ से किसी जीव को मारता है, तो वह हिंसा है। अनुपयोग से कोई जीव मर जाता है, वह भी हिंसा है। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259