Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 4
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 233
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२५ प्रवचन-९४ है तो गलत काम करती है। रात हुई। पल्ली में नाटक शुरू हुआ। सभी औरतें नाटक देखने इकट्ठी हो गई। इधर वंकचूल की बहन ने वंकचूल के वस्त्र पहन लिए । भाभी के साथ वह भी नाटक में पहुंच गई। वहाँ पहुँचते ही सभी ने देख लिया कि 'वंकचूल आ गया है!' चोरों का तो मजा ही किरकिरा हो गया । वंकचूल ने उन नटों को बक्षिस भी दी और वे दोनों अपने घर आकर एक ही चारपाई में सो गई। चोर तो तुरन्त ही रवाना हो गये। ___ आधी रात बीतने पर वंकचूल घर पर पहुँचा | उसने अपनी पत्नी को किसी पुरुष के साथ सोयी हुई देखा! अंधेरा था। स्पष्ट नहीं दिखता था। वंकचूल को घोर गुस्सा आ गया। उसने तलवार उठायी। प्रहार करने आगे बढ़ता है, त्यों ही उसको अपनी प्रतिज्ञा याद आ गई। वह सात कदम पीछे हट गया। उसकी तलवार मकान की छत से टकरायी, आवाज हुई और बहन जाग गई.... 'भैया, तुम आ गये!' बोलती हुई खड़ी हो गई। पुरुष के वेष में अपनी बहन को देखकर वंकचूल स्तब्ध रह गया। उसके हाथ में से तलवार जमीन पर गिर गई। वंकचूल कुछ पूछे, इसके पहले तो बहन ने सारी बात बता दी। वंकचूल की पत्नी भी जाग गई थी। वंकचूल कुछ बोला नहीं। उसने आँखें बंद की और गुरुदेव की स्मृति में वह खो गया | मनोमन बोलने लगा : 'गुरुदेव! आपने मुझे घोर पाप से बचा लिया..... आपने मुझे प्रतिज्ञा नहीं दी होती तो आज मेरे हाथ से पत्नी की और बहन की हत्या हो जाती...।' उसकी आँखों में से आँसू बहने लगे। प्रतिज्ञा के पालन से उसको प्रत्यक्ष लाभ दिखायी दिया। प्रतिज्ञा-पालन की उसकी द्रढ़ता और प्रबल हो गई। 'धर्म के पालन से सुख मिलता ही है, यह श्रद्धा द्रढ़ हुई। उसको गुरुदेव के वचन याद आये : 'महानुभाव, धर्म इस जीवन में और पारलौकिक जीवन में सुख देता है, इसलिए दृढ़ता से धर्म का पालन करना।' इस जीवन में तो मैंने सुख का अनुभव किया, परलोक में भी यह धर्म सुख देगा ही।' उसका धर्मविश्वास दृढ़ हुआ। एक दिन वंकचूल और उसके साथी कोई गाँव में डाका डालने गये। वापस लौटते हैं। जंगल में से गुजरते हैं। सबको जोरों की भूख लगी है। पास में भोजन था नहीं। डाकू जंगल में से सुंदर पके हुए फल ले आये। वंकचूल के पास फलों का ढेर कर दिया । वंकचूल ने पूछा : 'इस फल का नाम क्या है?' फल लानेवाले डाकुओं ने कहा : 'हम नाम तो नहीं जानते, परन्तु लगता है कि ये फल स्वादिष्ट हैं।' For Private And Personal Use Only

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