Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 4
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 235
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-९४ २२७ वंकचूल ने कहा : 'महाराजा, आपका उपकार मानता हूँ। आप मेरे जैसे चोर को सेनापति-पद देना चाहते हैं, यह आपकी महानता है; परंतु मैं अकेला नहीं हूँ। मेरी पत्नी है, मेरी बहन है और मेरे साथियों के परिवारों की मुझ पर बड़ी जिम्मेदारी है।' राजा ने कहा : 'तू जाकर पत्नी और बहन को यहाँ ले आना और तेरे साथियों के परिवारों को जमीन वगैरह जो देना हो, तू मेरी तरफ से दे सकता है। उन लोगों को भी चोरी नहीं करनी पड़े-वैसा प्रबंध कर देना।' वंकचूल की स्मृति में गुरुदेव आ गये। गुरुदेव के उपकार को याद करते करते वंकचूल भावविभोर हो गया। 'गुरुदेव, आपने मुझे दुःखों से तो बचाया, सुख भी दिया.....।' उसका कृतज्ञ हृदय पुन:-पुनः गुरुदेव को याद करने लगा। प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहा : वंकचूल सेनापति बना, फिर भी अपनी प्रतिज्ञाओं का अविकल पालन करता है। उसकी धर्मश्रद्धा पुष्ट होती जाती है। एक दिन चौथी परीक्षा भी आ जाती है। युद्ध में विजय तो पायी वंकचूल ने, परन्तु उसका शरीर अनेक घावों से भर गया । वैद्यों ने उपचार करते हुए कहा : 'सेनापतिजी को कौए का मांस खिलाना होगा, तो ही घाव भरेंगे, अन्यथा जीवन को खतरा है।' ___ वंकचूल ने मना कर दिया। 'मौत आये तो भले आये, मैं मेरी प्रतिज्ञा का भंग नहीं करूँगा।' वंकचूल ने कौए का मांस नहीं खाया | उसकी मृत्यु हुई, परंतु समाधिपूर्वक मौत हुई। वह मर कर देवगति में गया। हालाँकि वंकचूल के जीवन में कोई भी विशेष धर्मक्रिया देखने को नहीं मिलती है, परंतु अनेक सामान्य धर्म उसके जीवन में दिखायी देते हैं। यदि सामान्य धर्मों के साथ विशेष प्रकार की धर्म-आराधना होती उसके जीवन में, तो उसकी आत्मा कितनी श्रेष्ठ विशुद्धि प्राप्त कर लेती? सामान्य धर्म ही असामान्य हैं : सामान्य धर्मों का पालन करनेवाला सदगृहस्थ अनिंदित सुख प्राप्त करता है। यानी सामान्य धर्मों के पालन से पुण्यानुबंधी पुण्य बंधता है, उस पुण्य के उदय से जो सुख मिलता है वह सुख अनिंदित होता है। ऐसा सुख मिलता है कि जिस सुख की कोई निन्दा नहीं करता है। कोई उस सुख की ईर्ष्या नहीं करता है। ___ ऐसा सुख होता है कि जिसमें मनुष्य आसक्त नहीं होता है। ऐसा सुख होता है कि मनुष्य में पापबुद्धि पैदा नहीं होती है। For Private And Personal Use Only

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