________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२४
प्रवचन- ८५
देना चाहिए। परन्तु इस प्रकार दान तो वही दे सकता है कि जिसके पास विवेकबुद्धि हो। बगदाद के खलीफा 'हारुन अलरशीद' पर दानशीलता का भूत सवार था । वह प्रतिदिन घोड़े पर बैठकर निकलता और जो भी सामने आ जाता उसके सामने चांदी के सौ टुकड़ों की थैली उछाल देता । भले ही फिर वह जरूरतमंद हो या न हो। उसकी इस सनक ने उसको कंगाल बना दिया... परन्तु धूर्तों ने इसका पर्याप्त लाभ उठाया !
ठीक है, जिनके पास अनाप-शनाप संपत्ति भरी पड़ी है और उपयोग की सूझ-बूझ नहीं है, ऐसे लोग अनुचित व्यय करते हैं तो यह बात एक सीमा तक समझ में आती है। परन्तु उनके लिए क्या कहा जाय कि जो निजी एवं पारिवारिक आवश्यक खर्चों की तो उपेक्षा करते हैं... परन्तु जेवर, फैशन, शृंगार, दुर्व्यसन... आदि पर ढेरों रुपये व्यय करते रहते हैं। ऐसे लोग परिणामस्वरूप दुःखी होते हैं, कर्जदार बनते हैं। समाज में उनकी इज़्ज़त नहीं रहती हैं। लोग उपहास करते हैं। ऐसे लोग समय आने पर खर्च नहीं कर सकते हैं।
कैसे-कैसे मौके जीवन में आ सकते हैं कि जिसमें पैसे खर्च करने के ही होते हैं, इस बात का आप लोगों को ज्ञान होना चाहिए । भविष्य के विषय में कुछ अनुमान तो आपको करने ही चाहिए। गृहस्थ जीवन है, अनेक अच्छे-बुरे प्रसंग उपस्थित हो सकते हैं। पैसे का खर्च करना ही पड़ता है, इसके लिए आपकी तैयारी होनी चाहिए ।
अनावश्यक...फालतू खर्च यदि आप बंद कर दो, तो बहुत से प्रश्न हल हो जायें। आपका मनोबल दृढ़ होगा तो ही आप फालतू खर्च करना बंद कर सकोगे। आपको लोग कृपण भी कहेंगे... पन्द्रहवीं शताब्दी के कहेंगे, फिर भी आपको अविचल रहना पड़ेगा। समय आने पर जब आप पानी की तरह धन बहाओगे... तब दुनिया आश्चर्य में डूब जायेगी । समयज्ञ बनकर जीवन जियो | आज बस, इतना ही ।
For Private And Personal Use Only