________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१३६
प्रवचन-८६ और सामाजिक लाभ आपको अच्छी तरह समझने होंगे और दूसरों को समझाने का सामर्थ्य प्राप्त करना होगा। यदि आप दूसरों को समझा नहीं सकोगे तो आप स्वयं सामान्य धर्मों के पालन में कष्ट पाओगे | आपका परिवार ही विरोध करेगा। आपके मित्र या स्नेही-स्वजन विरोध करेंगे। 'इस युग में ऐसे सामान्य धर्मों का पालन नहीं हो सकता... नहीं करना चाहिए...' वगैरह बातें करेंगे और आपके मन को शिथिल कर देंगे।
इसलिए, तीसवाँ सामान्य धर्म बताया है प्रतिदिन धर्मश्रवण का । प्रतिदिन सद्गुरु से धर्मशास्त्र का उपदेश सुनना चाहिए। प्रतिदिन धर्मश्रवण करने से आपका मनोबल बढ़ेगा। धर्म पालन करने की क्षमता-सामर्थ्य पैदा होगी। आन्तरिक-जागृति बनी रहेगी।
सभा में से : हम प्रतिदिन धर्मश्रवण करते हैं कुछ समय से, परन्तु इन सामान्य धर्मों का पालन नहीं कर पा रहे हैं, इसका क्या कारण होगा? __ महाराजश्री : जिज्ञासा का अभाव! और मनोबल का अभाव! मन के भीतर... गहराई में जिज्ञासा पैदा होनी चाहिए।..| आत्मतत्त्व की जिज्ञासा, परम तत्त्वों की यानी अगम-अगोचर तत्त्वों की जिज्ञासा पैदा होनी चाहिए। जिज्ञासा से धर्मश्रवण करते हो क्या? जीवन का अमृतत्व पाने के लिए धर्मश्रवण करते हो क्या? धर्मग्रन्थों के ज्ञाता त्यागी-विरागी महात्माओं के चरणों में जिज्ञासा लेकर जाते हो क्या? एक कहानी : _ 'भागवत' में एक अच्छी कहानी है। राजा परीक्षित को साँप ने काटा | वह ऐसा साँप था कि जिसको काटे वह सातवें दिन मर जाय! राजा परीक्षित भयभीत हुआ । मृत्यु के भय ने उसको हिला दिया। उसके मन में घबराहट व्याप्त हो गई। राजा शुकदेवजी के पास गया । शुकदेवजी के पास बैठकर वह धर्मश्रवण करने लगा। 'मृत्यु से मैं कैसे बच सकता हूँ?' इस जिज्ञासा से वह धर्मश्रवण करता है। सुनते सुनते छह दिन बीत गये । राजा की जिज्ञासा शान्त न हुई। वह विक्षुब्ध था। शुकदेवजी ने परीक्षित की क्षुब्धता को जान लिया था। उन्होंने कहा : 'राजन्, आज मैं तुझे एक कहानी सुनाता हूँ।' ___ एक राजा था। एक दिन शिकार करने के लिए वह जंगल में गया। दिन भर शिकार की खोज में जंगल में भटकता रहा, शिकार नहीं मिला। रात हो गई। वह रास्ता भूल गया। उसने सोचा कि 'अब तो इस जंगल में ही कोई
For Private And Personal Use Only