________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन-९१
१९२ मार्ग बताने के लिए वंकचूल आचार्यदेव के साथ चलता है। उसके मन पर और मुँह पर उदासी छायी हुई है। गाँव की सीमा समाप्त हुई और सब आगे बढ़े। रास्ता सीधा मिल गया। आचार्यदेव खड़े रहे। सभी साधु खड़े रह गये। आचार्यदेव ने वंकचूल के सामने देखा । वंकचूल दो हाथ जोड़कर, नतमस्तक होकर खड़ा था । आचार्यदेव बोले : 'महानुभाव, अब हम गाँव से बाहर आ गये हैं, अब तो मैं कुछ धर्मोपदेश दे सकता हूँ तुझे?' 'अवश्य गुरुदेव, मेरे योग्य धर्म बताने की कृपा करें। आप जानते हैं कि मैं डाकू...' वंकचूल रो पड़ा। आचार्यदेव ने उसके सर पर हाथ फेरा और कहा : 'मैं तुझे चार प्रतिज्ञा देता हूँ, तू पालन कर सकेगा।' __'आप बताने की कृपा करें।' वंकचूल में सुश्रूषा पैदा हुई। धर्मश्रवण करने की इच्छा पैदा हुई। गुरुविनय से यह इच्छा पैदा हुई थी। वह गुरुदेव का उपदेश सुनने के लिए तत्पर बना । १. 'किसी भी जीव पर शस्त्र से प्रहार करने से पूर्व सात कदम पीछे हट जाना' - यह है पहली प्रतिज्ञा | २. 'कोई भी अनजान फल नहीं खाना' - यह है दूसरी प्रतिज्ञा। ३. 'राजा की रानी से प्यार नहीं करना' - यह है तीसरी प्रतिज्ञा | ४. 'कौए का मांस नहीं खाना' - यह है चौथी प्रतिज्ञा।
यदि तू यह चार प्रतिज्ञायें ग्रहण करेगा तो तेरी जीवनरक्षा तो होगी ही, तेरे जीवन में धर्म का बीज पड़ेगा। तेरा भविष्य उज्ज्वल बनेगा। ___वंकचूल ने आचार्यदेव का उपदेश ध्यान से सुना! चारों बातें स्मृति में भर लीं और उसने सोचा : 'आचार्य मुझे संपूर्ण हिंसा का त्याग तो करवाते नहीं है, वे तो प्रहार करने से पूर्व सात कदम पीछे हटने को कहते हैं... इतना तो मैं कर सकता हूँ।' दूसरी बात उन्होंने कही अनजान फल नहीं खाने की । जंगलों के कौन-से फलों से मैं अनजान हूँ? कभी मान लो कि अनजान फल आ गया, तो मैं नहीं खाऊँगा... यह प्रतिज्ञा भी मैं ले सकता हूँ। तीसरी बात उन्होंने राजा की रानी से प्यार नहीं करने की कही है... वह भी मैं कर सकता हूँ। राजा की रानी के पास जाने का अभी तक तो हुआ ही नहीं है और कभी ऐसा मौका आयेगा तो मैं दृढ़ता से प्रतिज्ञा का पालन कर सकूँगा | चौथी बात - कौए का मांस नहीं खाने की बतायी है, जीवन में कभी वैसा मांस मैंने खाया नहीं है... भविष्य में भी नहीं खाऊँगा। चारों प्रतिज्ञा सरल हैं, मैं ग्रहण कर सकता हूँ| कितने वात्सल्य से आचार्यदेव ने मुझे उपदेश दिया! उन्होंने चोरी छोड़ने को नहीं कहा है... मेरा धंधा तो चलता रहेगा...| वंकचूल ने आचार्यदेव से कहा :
For Private And Personal Use Only