________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन-८९
१७१ ___ लुक्रेशिया की बात सुनकर सभी के मुँह फटे से रह गये। कोई कुछ नहीं बोलता है, तब लुक्रेशिया का पुण्यप्रकोप तीव्र हो गया।
'आप सबने मौन क्यों साध लिया? युद्ध मैदानों पर बड़े-बड़े दुश्मनों के दांत खट्टे कर देने वाले मेरे रोमन वीरों की क्या इतनी ही हिम्मत? माँ, बहन, बेटी के शील की इतनी ही कीमत? रे रोमन वीरों, तुम्हारा सामर्थ्य कहाँ गया? तुम्हारे सामर्थ्य को जाग्रत करो, अन्यथा संसार तुम्हारे बल पर थूकेगा।
फिर भी जब कोई कुछ बोला नहीं, तब लुकेशिया खड़ी हुई। पास में खड़े हुए सैनिक की कमर से उसने छुरी खींच ली और अपने सीने में पिरो दी। लुक्रेशिया की देह जमीन पर गिर पड़ी। खून बहने लगा। थोड़ी क्षणों में ही उसका प्राणपखेरू उड़ गया। बलिदान रंग लाया :
लुक्रेशिया के बलिदान ने रोमन प्रजा में अपूर्व क्रान्ति की आग पैदा कर दी। उसी समय ब्रुट्स नाम का एक सशस्त्र और सशक्त योद्धा आगे आया, उसने लक्रेशिया के शरीर में से छुरी बाहर निकाली... अपने सर पर लगायी और जनसमूह के सामने देख कर बोला : ।
'मेरे रोमन बन्धुओं, एक निर्दोष रोमन बेटी के खून की शपथ लेकर कहता हूँ : इस घोर पाप का कारण दूसरा कोई नहीं है, वह है अधर्म के अवतार रोमन सम्राट | सेना, सत्ता और संपत्ति पा कर राजा उन्मत्त बने हैं। उनकी आँखें मोहान्ध बनी हैं। मैं आज प्रतिज्ञा करता हूँ कि रोमन राजाओं के नाम भी नष्ट करके रहूँगा।'
ब्रुट्स के साथ लाखों रोमन प्रजाजन जुड़ गये | रोम में महान् क्रान्ति हुई। राजाशाही खत्म हो गई।
यह तो हुई दूसरे प्रकार की तृष्णा की बात । तीसरा प्रकार है यश पाने की तृष्णा । आप अच्छे कार्य करते रहें और आपका यश फैल जाय वह बात अलग है। यश पाने की इच्छा से कोई कार्य करना, वह बात यहाँ अभिप्रेत है। यश और कीर्ति पाने की तृष्णा, मनुष्य के पास दूसरों का अपयश करवायेगी, अपकीर्ति करवायेगी, पराभव करवायेगी। ___ अज्ञानी और अल्पज्ञ लोगों का ऐसा खयाल होता है कि दूसरों की अपकीर्ति करने से अपनी कीर्ति बनती है। दूसरों की निन्दा करने से अपनी
For Private And Personal Use Only