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प्रवचन-७८
६१ प्रभावों को अज्ञानवश मैंने मेरे मान लिये हैं | घर, दुकान, स्नेही, स्वजन, धनसंपत्ति और शरीर...सब कुछ कर्मजन्य है। यह शरीर भी मैं नहीं हूँ। मैं तो आनन्द स्वरूप शुद्धात्मा हूँ।'
'मेरा क्या है?' यह दूसरा प्रश्न है। इन्द्रियों से अनुभूत कोई भी विषयपदार्थ मेरा नहीं है। अज्ञान से मैंने उन पदार्थों को मेरा माना है। जो मेरा है वह कभी भी आत्मा से अलग नहीं हो सकता है। यह घर, दुकान, स्वजन, परिजन, वैभव, संपत्ति और शरीर...आत्मा के साथ सदैव नहीं रहते हैं...इसलिए मेरे नहीं हैं। मेरा है ज्ञान, मेरा है दर्शन, मेरा है चरित्र, मेरा है वीर्य, मेरी है वीतरागता...। यह जो मेरा है, कर्मों के प्रभाव से दब गया है। है आत्मा में ही। ये गुण कभी भी आत्मा से अलग नहीं होते हैं। जो मेरा है, मुझे उसे प्रकट करना है। प्रकट करने के लिए चाहिए ज्ञानी पुरुषों का सच्चा मार्गदर्शन | मैं ऐसे ज्ञानी पुरुषों को खोलूँगा और उनसे मार्गदर्शन लेता रहूँगा...मेरे आत्मगुणों को प्रकट करके रहूँगा। जो मेरा नहीं है, मैं उन पदार्थों से ममत्व तोडूंगा। तोड़ने का प्रयास करूंगा।'
तीसरा प्रश्न है 'मैं कहाँ से आया?' हमें अपने जन्म से पूर्व की स्थिति में ज्ञानदृष्टि से जाना पड़ेगा। हम कोई दूसरी योनि में थे, वहाँ हमारी मृत्यु हुई होगी... और यहाँ इस मनुष्य योनि में हमारा जन्म हुआ है। हमें मनुष्य योनि में जन्म मिला, वह भी आर्य देश में | आर्य देश में भी संपूर्ण अहिंसक जैनपरिवार में | ऐसे ही यहाँ जन्म नहीं मिल गया है...अकस्मात् से | कोई लोटरी नहीं लगी है। हमने हमारे पूर्वजन्म में कुछ व्रत-नियमों का पालन किया होगा, दुःखी जीवों के प्रति दया की होगी। किसी जीव की हिंसा नहीं की होगी। अतिथि को भाव से दान दिया होगा...तीव्र भाव से पाप नहीं किये होंगे...तभी हमें ऐसी मनुष्य योनि में जन्म मिला है। ___ पशु भी मरकर मनुष्य योनि में जन्म पा सकता है। परन्तु वे पशु मनुष्य योनि में आते हैं कि जो क्रूर नहीं होते, जो मांसाहारी-शिकारी नहीं होते। जो शान्त होते हैं...गाय, भैंस, हाथी, घोड़े...वगैरह जैसे पशु मरकर मनुष्य योनि में जन्म ले सकते हैं। लेकिन, पशुयोनि में से आये हुए मनुष्य में 'आहार-संज्ञा' प्रायः प्रबल होती है।
देव भी मरकर मनुष्य योनि में जन्म ले सकते हैं। देवलोक से मनुष्य योनि में जन्म लेनेवाले मनुष्य में 'मैथुन संज्ञा' प्रायः प्रबल होती है । 'परिग्रह संज्ञा' का भी प्रभाव दिखाई देता है।
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