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प्रवचन-८२
१०४ जापान में 'फ्युजियामा' नाम का पवित्र पहाड़ है। जैसे अपने देश में हिमालय का पहाड़ पवित्र माना जाता है वैसे जापान में 'फ्युजियामा' पहाड़ पवित्र माना जाता है। उस पहाड़ के एक शिखर पर चढ़ना बहुत मुश्किल है। 'शीबुकावा' नाम का एक साहसिक उस शिखर पर चढ़ गया । 'टेलिविजन' पर उसकी मुलाकात ली गई। उसको पूछा गया
'जिस शिखर पर चढ़ने में दूसरे लोग सफल नहीं हो पाये, वहाँ आपने सफलता कैसे पायी?' 'केवल साहस! केवल हिम्मत! और कुछ नहीं!' 'सफलता का कारण तैयारियाँ नहीं थी क्या?'
'साधन कितने भी अच्छे हों। परन्तु मनुष्य में हिम्मत नहीं होती है...साहस नहीं होता है...तो वे सारे साधन बेकार हो जाते हैं।' ___ कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य में वीरता होती है, साहस करने की क्षमता होती है तो अल्प साधनों से भी वह कार्यसिद्धि कर लेता है। वीरता के साथ तत्परता, सहनशीलता और समर्पण की भावना जुड़ी हुई रहती है।
दक्षिण अमरीका के किनारे पर खड़े हुए सेनापति 'पिजारो' ने अपने सैनिकों से कहा : 'उत्तर में है शान्ति और आराम, दक्षिण में है युद्ध, अशान्ति, साहस और समृद्धि! जिसको जहाँ जाना हो वहाँ जाय, मैं दक्षिण में जाऊँगा।' पिजारो दक्षिण में ही गया। कुछ साहसिक सैनिक उसके साथ गये और उन्होंने वहाँ भव्य इतिहास रच डाला। ___ हालाँकि साहस करने में गणित तो होना ही चाहिए। ऐसा साहस नहीं करना चाहिए कि जो पागलपन गिना जाय । शक्ति, क्षमता का विचार तो करना ही चाहिए।
जैसलमेर के वीर राजपूत भायासिंह ने जब अपने दुश्मन जोधमल के हाथी पर अपने अश्व को कुदा कर हमला कर दिया तब जोधमल के पास बैठे हुए नन्द चारण ने भायासिंह की वीरता के मुक्त कंठ से गीत गाये थे। भायासिंह की वीरता ने दुश्मनों को चकित कर दिया था। भायासिंह का यह साहस बुद्धिपूर्वक का था।
निराश, निरुत्साही मनुष्य जो साहस करने जाता है वह बुद्धिपूर्वक नहीं होता है। एक धर्मगुरु के पास आकर एक क्लर्क ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि मुझे आत्महत्या करनी पड़ेगी।' धर्मगुरु ने कहा : 'यह तो कायरता है!'
'यह कैसे? मरने में तो बहुत हिम्मत होनी चाहिए!'
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