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प्रस्तावना
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भूतं भव्यं वर्तमानं शुभाशुभनिरीक्षणम् । पंचप्रकारमार्ग च चतुष्केन्द्रबलाबलम् ॥ आरूढछत्रवर्ग चाभ्युदयादि - बलाबलम् । क्षेत्रं दृष्टिं नरं नारी युग्मरूपं च वर्णकम् ॥ मृगादि नररूपाणि किरणान्योजनानि च ।
आयूरसोदयाद्यञ्च परीक्ष्य कथयन् बुधः । अर्थ-भूत, भविष्य, वर्तमान, शुभाशुभ दृष्टि,पांच मार्ग, चार केन्द्र, बलाबल, आरूढ, छत्र, वर्ण, उदयबल, अस्तबल, क्षेत्रदृष्टि, नर, नारी, नपुंसक, वर्ण, मृग तथा मनुष्यादिक के रूप, किरण, योजन, आयु, रस एवं उदय आदि की परीक्षा करके फल का निरूपण करना चाहिए।
प्रश्ननिमित्त का विचार तीन प्रकार से किया गया है -प्रश्नाक्षर-सिद्धान्त, प्रश्नलग्न-सिद्धान्त और स्वरविज्ञान-सिद्धान्त । प्रश्नाक्षर-सिद्धान्त का आधार मनोविज्ञान है; यतः बाह्य और आभ्यन्तरिक दोनों प्रकार की विभिन्न परिस्थितियों के अधीन मानव-मन की भीतरी तह में जैसी भावनाएं छिपी रहती हैं, वैसे ही प्रश्नाक्षर निकलते हैं । अतः प्रश्नाक्षरों के निमित्त को लेकर फलादेश का विचार किया गया है।
प्रश्न करने वाला आते ही जिस वाक्य का उच्चारण करे, उसके अक्षरों का विश्लेषण कर प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम वर्ग के अक्षरों में विभक्त कर लेना चाहिए । पश्चात् संयुक्त, असंयुक्त, अभिहित, अनभिहित, अभिघातित, आलिगित, अभिधमित और दग्ध प्रश्नाक्षरों के अनुसार उनका फलादेश समझना चाहिए। प्रश्न प्रणाली के वर्गों का विवेचन करते हुए कहा है कि अ क च ट त प य श अथवा आ ए क च ट त प य श इन अक्षरों का प्रमथ वर्ग; आ ऐ ख छ ठ थ फ र ष इन अक्षरों का द्वितीय वर्ग; इ ओ ग ज ड द ब ल स इन अक्षरों का तृतीय वर्ग; ई औ घ झ ढ ध भ व ह इन अक्षरों का चतुर्थ वर्ग और उ ऊ ङब ण न म अं अः इन अक्षरों का पंचम वर्ग बताया गया।
प्रथम और तृतीय वर्ग के संयुक्त अक्षर प्रश्नवाक्य में हों तो वह प्रश्नवाक्य संयुक्त कहलाता है। प्रश्नवर्गों में अ इ ए ओ ये स्वर हों तथा क च ट त प य श ग ज ड द ब ल स ये व्यंजन हों तो प्रश्न संयुक्त संज्ञक होता है । संयुक्त प्रश्न होने पर पृच्छक का कार्य सिद्ध होता है । यदि पृच्छक लाभ, जय, स्वास्थ्य, सुख और शान्ति के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने आया है तो संयुक्त प्रश्न होने पर उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं । यदि प्रश्न वर्गों में कई वर्गों के अक्षर हैं अथवा प्रथम, तृतीय वर्ग के अक्षरों की बहुलता होने पर भी संयुक्त ही प्रश्न माना जाता है। जैसे पृच्छक के मुख से प्रथम वाक्य कार्य निकला, इस प्रश्नवाक्य का विश्लेषणक्रिया से क+आ+र+य+अ यह स्वरूप हुआ। इस विश्लेषण में क्+य् +अ ये अक्षर