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ये सारे सूत्र एक अर्थ में आंख मूंदने के सूत्र हैं संसार से मंद लो आंख। और एक अर्थ में आंख खोलने के सूत्र हैं-खोल लो परमात्मा की तरफ, स्वयं की तरफ आंख।
ये खाडिया, यह उदासी, यहां न बांधो नाव। यह और देश है साथी, यहां न बांधो नाव।
दगा करेंगे मनाजिर किनारे दरिया के सफर ही में है भलाई, यहां न बांधो नाव।
फलक गवाह कि जल- थल यहां है डावांडोल जमीं खिलाफ है भाई, यहां न बांधो नाव।
यहां की आबोहवा में है और ही बू-बास यह सरजमीं है पराई, यहां न बांधो नाव।
इबो न दें हमें ये गीत कुबें साहिल के जो दे रहे है सुनाई, यहां न बांधो नाव।
जो बेड़े आए थे इस घाट तक अभी उनकी खबर कहीं से न आई, यहां न बाधो नाव।
रहे हैं जिनसे शनासा यह आसमा वह नहीं यह वह जमीं नहीं भाई, यहां न बांधो नाव।
यहां की खाक से हम भी मुसाम रखते हैं वफा की बू नहीं आई, यहां न बांधो नाव।
जो सरजमीन अजल से हमें बुलाती है वह सामने नजर आई, यहां न बाधो नाव।
सवादे-साहिले-मकसूद आ रहा है नजर