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___अनुयोगद्वार सूत्र
(समाधान) जैसे एक रिक्त घट है, जिसमें मधु था, एक अन्य रिक्त घट है, जिसमें घृत था। वर्तमान में उनमें मधु एवं घृत न होने पर भी उन्हें क्रमशः मधुघट एवं घृतघट कहा जाता है।
इसी प्रकार वर्तमान निर्जीव शरीर भूतकालिक श्रुत पर्याय का आधार रूप होने से ज्ञ शरीर द्रव्यश्रुत कहलाता है।
(३७)
__ भव्यशरीर द्रव्यनुत से किं तं भवियसरीरदव्वसुयं?
भवियसरीरदव्वसुयं - जे जीवे जोणिजम्मण-णिक्खंते जाव जिणोवदिटेणं भावेणं 'सुय' त्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ जाव अयं घयकुंभे भविस्सइ। सेत्तं भवियसरीरदव्वसुयं।
भावार्थ - भव्यशरीर-द्रव्यश्रुत का कैसा स्वरूप है?
किसी जीव का शरीर (यथा समय) जन्म स्थान से निःसृत हुआ, भविष्य में वीतराग प्ररूपित भावानुरूप श्रुत पद को सीखेगा किन्तु वर्तमान में नहीं सीख रहा है, उस समय वह जीव (भावी पर्याय की अपेक्षा से) भव्य शरीर द्रव्यश्रुत कहलाता है।
(प्रश्न) क्या ऐसा कोई दृष्टान्त उपलब्ध है?
(समाधान) दो घड़े रखे हैं (जो वर्तमान में रिक्त हैं किन्तु भविष्य में उनमें क्रमशः मधु एवं घृत रखा जाना है) जो भविष्यवर्ती पर्याय की अपेक्षा से क्रमशः मधुकुंभ एवं घृतकुंभ कहे जायेंगे।
यही भव्य-शरीर-द्रव्यश्रुत का स्वरूप है।
ज्ञ-शरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्त द्रव्यनुत से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्तं दव्वसुर्य? - . जाणयसरीरभविय-सरीरवइरित्तं दव्वसुयं पत्तयपोत्थयलिहियं।
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