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अनुयोगद्वार सूत्र
जितनी हो जाएंगी। जबकि प्रज्ञापना सूत्र के तीसरे पद में में - ‘महादण्डक के बोलों की अल्प बहुत्व के पाठ की टीका में बादर तेजस्कायिक पर्याप्त जीव-'आवलिका के घन से कुछ न्यून' (आवलिका आवलिका कुछ समय कम आवलिका) जितने बताए हैं।
यदि बालाग्र खण्डों को संख्यात आवलिका प्रमाण (संख्यात कोटि वर्षों में संख्यात आवलिकाएं होती हैं) मानने पर उन बालाग्र खण्डों को १०० वर्षों (१५ या १६ अंकों जितनी आवलिकाएं) से गुणन करने पर - सूक्ष्म अद्धा पल्योपम का परिमाण आ जाएगा।
बालाग्र खंडों (संख्यात आवलिका प्रमाण) को १०० वर्ष की आवलिकाओं (१५-१६ अंकों जितनी) से गुणान करने पर आवलिका वर्ग से संख्यातगुणा अधिक व आवलिका. घन से असंख्यात गुणा हीन होते हैं।
सूक्ष्म अद्धा पल्योपम आवलिका के वर्ग से संख्यात गुणा ही बड़ा होने से व बादर तेजस्कायिक पर्याप्त जीव - 'कुछ न्यून आवलिका के घन प्रमाण होने से व बादर तेजस्कायिक पर्याप्त जीव' बहुत बड़े दूसरे असंख्यात (मध्यम परित्त असंख्यात) प्रमाण असंख्यात पल्योपम जितने हो जाएंगे और अनुत्तर विमान के देव पांचवें असंख्यात (मध्यम युक्त असंख्यात) प्रमाण असंख्यात पल्योपम जितने हो जाएंगे, जो कि स्वयं टीकाकारों को भी मान्य नहीं है।
यदि सूक्ष्म उद्धार पल्योपम के समयों को संख्यात कोटि वर्ष के समयों तुल्य मानेंगे तो बादर तेजस्कायिक पर्याप्त जीवों की व अनुत्तर देवों की राशि असंख्य सूक्ष्म अद्धा पल्योपमों जितनी माननी पड़ेगी। ___ बालाग्र खंडों का परिमाण कितना होगा? आवलिका के वर्ग या आवलिका के घन प्रमाण मानने से तो बालाग्र खंडों की राशि बहुत कम होने से सूक्ष्म अद्धा पल्योपम बहुत छोटा हो जाएगा। आवलिका वर्ग जितने (बालाग्र खंड) मानने से वे बादर पर्याप्त तेजस्कायिक जीवों से असंख्यातवें भाग जितने होंगे। कुछ न्यून आवलिका के घन प्रमाण मानने से बादर पर्याप्त तेजस्कायिक जीवों के तुल्य होंगे। अनुत्तर देवों से बादर पर्याप्त तेजस्कायिक जीव असंख्यातवें भाग हैं। अनुत्तर देवों से असंख्यातवें भाग राशि का १००-१०० वर्षों में अपहार करने से सूक्ष्म अद्धा पल्योपम होगा। यह संभव नहीं है। क्योंकि 'अनुत्तर देवों से असंख्यात गुणी राशि का १००-१०० वर्षों में अपहार करें या अनुत्तर देवों को १०० वर्षों से असंख्यात गुण छोटे काल में अपहार करे अर्थात् एक आवलिका भी १०० वर्षों का संख्यातवाँ भाग ही है। अतः १०० वर्षों का असंख्यातवां भाग आवलिका का भी असंख्यातवां भाग ही होगा।
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