Book Title: Anuyogdwar Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 523
________________ ४६८ अनुयोगद्वार सूत्र एक काल में पूर्व प्रतिपन्न घनीकृत लोकप्रतर के असंख्यातवें भाग में रही हुई असंख्यात श्रेणियों के आकाश प्रदेश जितने होते हैं। चारित्र सामायिक, देशविरति सामायिक तथा सम्यक्त्व सामायिक - इनमें से प्रपतित जीव सम्यक्त्व आदि सामायिकों के प्राप्त करने वाले तथा पूर्वप्रतिपन्न जीवों की अपेक्षा अनन्तगुणे हैं। २०. सांतर (अंतर) - सामायिक का अंतर या विरहकाल कितना होता है? सम्यक् एवं मिथ्या इन विशेषणों से रहित सामान्य श्रुत सामायिक में जघन्यतः अन्तर अन्तर्मुहूर्त का होता है तथा उत्कृष्टतः अन्तर - अनन्तकाल का होता है। एक जीव की अपेक्षा से सम्यक्, श्रुत, देशविरति, सर्व विरति रूप सामायिक का जघन्यकाल जघन्यतः अन्तर्मुहर्त तथा उत्कृष्टतः कुछ न्यून अर्द्धपुद्गल परावर्त परिमित होता है। इतना बड़ा अन्तर काल आशातना बहुल जीवों की अपेक्षा से होता है। . २१. अविरहित (निरन्तर काल) - बिना अन्तर के लगातार कितने काल तक सामायिक ग्रहण करने वाले होते हैं? सम्यक्त्व तथा श्रुत सामायिक के गृहीता अगारी - गृहस्थ निरन्तर उत्कृष्टतः आवलिका के : असंख्यातवें भाग परिमित काल तक होते हैं। गृहीता अगारी - अगार धर्म के पालक गृहस्थ उत्कृष्टतः आवलिका के असंख्यातवें भाग प्रमाण तक होते हैं तथा चारित्र सामायिक के गृहीता आठ समय तक होते हैं। जघन्यतः समस्त सामायिकों के गृहीता दो समय तक निरन्तर स्थित रहते हैं। २२. भव - कितने भव तक सामायिक रह सकती है? सम्यक्त्व और देशविरति सामायिक पल्य के असंख्यातवें भाग परिमित तथा चारित्र सामायिक आठ भव पर्यन्त और श्रुत सामायिक अनंतकाल तक होती है। २३. आकर्ष - एक भव में या अनेक भवों में सामायिक के कितने आकर्ष होते हैं? दूसरे शब्दों में, एक भव में या अनेक भवों में सामायिक कितनी बार धारण की जाती है? सम्यक्त्व, श्रुत और देशविरति सामायिक के आकर्ष - एक भव में उत्कृष्टतः सहस्र पृथक्त्व परिमित तथा सर्व विरति के आकर्ष-शत पृथक्त्व परिमित होते हैं। जघन्यतः समस्त सामायिकों का आकर्ष - एक भव में एक ही होता है तथा अनेक भवों की दृष्टि से सम्यक्त्व एवं देशविरति सामायिक के उत्कृष्टतः असंख्य सहस्र पृथक्त्व परिमित और सर्वविरति सामायिक के सहस्र पृथक्त्व प्रमाण आकर्ष होते हैं। २४. स्पर्श - सामायिक युक्त जीव कितने क्षेत्र का स्पर्श करते हैं? www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only Jain Education International

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