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अनुयोगद्वार सूत्र
तं च केइ छिंदमाणं पासित्ता वएज्जा - 'किं भवं छिंदसि?' विसुद्धो गमो भणइ - 'पत्थयं छिंदामि ।'
तं च केइ तच्छमाणं पासित्ता वएज्जा - 'किं भवं तच्छसि ?'
विसुद्धतराओ गमो भणइ - 'पत्थयं तच्छामि' । तं च केइ उक्कीरमाणं पासित्ता वज्जा 'किं भवं उक्कीरसि ?' विसुद्धतराओ णेगमो भवइ - 'पत्थयं उक्कीराम ।' तं च केइ विलिहमाणं पासित्ता वएज्जा- 'किं भवं विलिहसि ?'
विसुद्धतराओ गमो भणइ - 'पत्थयं विलिहामि । ' एवं विसुद्धतरस्स णेगमस्स णामाउडिओ पत्थओ । एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स चियमियमेज्जसमारूढो पत्थओ । उज्जसुयस्स पत्थओ वि पत्थओ, मेजं पि पत्थओ । तिन्हं सद्दणयाणं पत्थयस्स अत्थाहिगारजाणओ जस्स वा वसेणं पत्थओ णिप्फज्जइ । सेत्तं पत्थयदिट्ठतेणं ।
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शब्दार्थ परसुं - कुल्हाड़ा, गहाय लेकर, अडविसमहुत्तो वन के सम्मुख, गच्छेज्जा - जाए, केइ - कोई, वएज्जा कहे, भवं आप, गच्छसि जाते हैं, पत्थगस्सप्रस्थक के लिए एक सेर मापने का काष्ठ पात्र, छिंदमाणं - काटते हुए, तच्छमाणं छीलते हुए, उक्कीरमाणं - उकेरते हुए, विलिहमाणं लेखन, अंकन करते हुए, णामाउडिओनामांकित, चियमियमेज्जसमारूढो - संचित पदार्थ का माप बतलाने में प्रयुक्त, वसेणं से - कारण से ।
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भावार्थ - प्रस्थक का दृष्टांत क्या है?
प्रस्थ का दृष्टांत इस प्रकार है - जैसे कोई अज्ञातनामा पुरुष कुल्हाड़ा लेकर वन की ओर जाए तब उसको देखकर कोई कहे आप कैसे - किस हेतु जा रहे हैं? अविशुद्ध नैगमनय के अनुसार वह कहता है- मैं प्रस्थक हेतु जा रहा हूँ।
उसे वृक्ष का छेदन करते हुए देखकर कोई बोले- आप क्या काट रहे हैं?
विशुद्ध नैगम नय के अनुसार कहता है - प्रस्थक को काट रहा हूँ। तब कोई (काष्ठ को) छीलते हुए देखकर कहे - आप क्या छील रहे हो ?
वह विशुद्धतर नय के अनुसार कहता है- प्रस्थक को छील रहा हूँ।
काष्ठ को उत्कीर्णित करते हुए देखकर कोई कहे- क्या उत्कीर्णित कर रहे हो?
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वश
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