Book Title: Anuyogdwar Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 519
________________ ४६४ अनुयोगद्वार सूत्र भावार्थ - निर्युक्त्यनुगम कितने प्रकार का बतलाया गया है? यह तीन प्रकार का कहा गया है, यथा - १. निक्षेपनियुक्त्यनुगम २. उपोद्घात नियुक्त्यनुगम और ३. सूत्रस्पर्शिक नियुक्त्यनुगम। १. निक्षेपनियुक्त्यनुगम से किं तं णिक्खेवणिज्जुत्तिअणुगमे? णिक्खेवणिज्जुत्तिअणुगमे अणुगए। से तं णिस्खेवणिज्जुत्तिअणुगमे। भावार्थ - निक्षेपनियुक्त्यनुगम का क्या स्वरूप है? निक्षेपनियुक्त्यनुगम का अनुगम पूर्ववत् योजनीय है। यह निक्षेपनियुक्त्यनुगम का स्वरूप है। (यहाँ पूर्ववत् का तात्पर्य सामायिक आदि पदों की विवेचना के अन्तर्गत नाम, स्थापना विषयक वर्णनों से है)। २. उपोद्घातनियुक्त्यनुगम से किं तं उवग्यायणिज्जुत्तिअणुगमे? उवग्यायणिजुत्तिअणुगमे इमाहिं दोहिं मूलगाहाहिं अणुगंतव्यो, तंजहा - गाहाओ - उद्देसे णिद्देसे य, णिग्गमे खेत्त काल पुरिसे य। कारण पच्चय लक्खण, णए समोयारणाणुमए॥१॥ किं कइविहं कस्स कहिं, केसु, कहं किच्चिरं हवइ कालं। कई संतर - मविरहियं, भवागरिस फासण णिरुत्ती॥२॥ सेत्तं उवग्यायणिज्जुत्तिअणुगमे। शब्दार्थ - इमाहिं - इन, गाहाहिं - गाथाओं से, अणुगंतव्वो - अनुगम करना चाहिए। भावार्थ - उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम का क्या स्वरूप है? इन दो गाथाओं से इसका अनुगमन करना चाहिए, इसका अर्थ जानना चाहिए - १. उद्देश २. निर्देश ३. निर्गम ४. क्षेत्र ५. काल ६. पुरुष ७. कारण ८. प्रत्यय ६. लक्षण १०. नय ११. समवतारानुमत १२. किम् (क्या) १३. कितने तरह की १४. किसको १५. कहां पर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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