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अनुगम विवेचन - उपोद्घातनिर्युक्त्यनुगम
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१६. किनमें १७. कैसे १८. कियत् काल तक (होता है) १६. कितने २०. सांतर (अंतर-विरहकाल) २१. अविरहित - विरह काल रहित २२. भव २३. आकर्ष २४. स्पर्शन २५. नियुक्ति॥१,२॥
इन प्रश्नों का उत्तर उपोद्घात नियुक्त्यनुगम स्वरूप है।
विवेचन - उपोद्घात निर्युक्त्यनुगम - उपोद्घात निर्युक्त्यनुगम का विवेचन इस प्रकार किया गया है - उपोद्हननं - व्याख्येयस्यं सूत्रस्य व्याख्याविधि समीपीकरणमुपोद्घातस्तस्य तद्विषया वा नियुक्ति उपोद्घातनियुक्तिः, तद्रूपस्तस्या वा अनुगमः उपोद्घात नियुक्त्यनुगमः। व्याख्येय सूत्र की व्याख्या विधि का निकटीकरण करना उपोद्घात है, उसकी (उपोद्घात करने वाली) या तद्विषयक नियुक्ति को उपोद्घात नियुक्ति कहते हैं। उपोद्घात नियुक्ति का या तद्रूप अनुगम 'उपोद्घात निर्युक्त्यनुगम' कहते हैं। ___उपर्युक्त गाथाद्वय में उपोद्घात नियुक्त्यनुगम विषयक प्रश्नों का उपपादन किया गया है। उनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है - . १. उद्देश - सामान्य रूप से कथन करना उद्देश कहा जाता है। जैसे - अध्ययन। - २. निर्देश - उद्देश का विशेष रूप से नाम निर्देश करना निर्देश या अभिधान निर्देश . कहा जाता है।
३. निर्गम - वस्तु विशेष के निर्गमन, निःसरण के आधार या स्त्रोत का वर्णन करना निर्गम है। जैसे - सामायिक का निर्गम या स्त्रोत कहां से हुआ ? अर्थतः उसका स्त्रोत तीर्थंकरों से और सूत्रापेक्षया गणधरों से हुआ। .... ४. क्षेत्र - किस क्षेत्र में सामायिक की उत्पत्ति हुई? सामान्यतः समय क्षेत्र में तथा विशेषतः मध्यम पावापुरी के महासेन नामक वनोद्यान में। - ५. काल - किस काल में सामायिक का उद्भव हुआ? वर्तमान काल की अपेक्षा से वैशाख शुक्ला एकादशी के दिन प्रथम पौरूषी काल में इसका उद्भव हुआ। _____६. पुरुष - किस पुरुष द्वारा सामायिक का समुद्भव हुआ? सर्वज्ञ पुरुषों ने सामायिक का निरूपण किया। अथवा जिनशासन की अपेक्षा से श्रमण भगवान् महावीर ने सामायिक का उद्बोधन दिया अथवा अर्थ की अपेक्षा भगवान् महावीर ने सामायिक का प्रतिपादन किया और सूत्रापेक्षया गौतम आदि गणधरों ने उसका संग्रथन किया।
७. कारण - गौतम आदि गणधरों ने किस कारण से प्रेरित होते हुए भगवान् महावीर से सामायिक का श्रवण किया?
उन्होंने संयति भाव की सिद्धि हेतु सामायिक का श्रवण किया।
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