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अनुयोगद्वार सूत्र
णामणिप्फण्णे सामाइए। से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते । तंजहा - णामसामाइए १
ठवणासामाइए २ दव्वसामाइए ३ भावसामाइए ४ ।
णामठवणाओ पुव्वं भणियाओ ।
भावार्थ - नाम निष्पन्न निक्षेप का क्या स्वरूप है, (कितने प्रकार का होता है ) ? नामनिष्पन्न निक्षेप सामायिक (रूप ) है। यह चार प्रकार का बतलाया गया है सामायिक २. स्थापना सामायिक ३. द्रव्य सामायिक एवं ४. भाव सामायिक |
( प्रथम एवं द्वितीय भेद) नाम एवं स्थापना का वर्णन पूर्व में वर्णित किया जा चुका है. (वैसा ही यहाँ भी योजनीय है ) ।
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द्रव्य सामायिक
दव्वसामाइए वि तहेव जाव सेत्तं भवियसरीरदव्वसामाइए । से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसामाइए?
जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसामाइए पत्तयपोत्थयलिहियं । से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसामाइए । से तं णोआगमओ दव्वसामाइए । से तं दव्वसामाइए ।
भावार्थ - (तृतीय भेद) द्रव्य सामायिक का वर्णन भी भव्यशरीर द्रव्यसामायिक पर्यन्त ( द्रव्यावश्यक के वर्णन की तरह) ज्ञातव्य है ।
ज्ञ शरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्त द्रव्यसामायिक का क्या स्वरूप है?
१. नाम
पत्र या पुस्तक में लिखित ( सामायिक पद) ज्ञ शरीर भव्य शरीर-व्यतिरिक्त द्रव्य सामायिक है। यह ज्ञ शरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्त द्रव्य सामायिक का स्वरूप है।
इस प्रकार द्रव्यसामायिक के अन्तर्गत नोआगमतः द्रव्यसामायिक की विवेच्यता पूर्ण होती है । भाव सामायिक
से किं तं भावसामाइए?
भावसामाइए दुविहे पण्णत्ते । तंजहा - आगमओ य १ णोआगमओ य २ ।
भावार्थ - भाव सामायिक कितने प्रकार की कही गई है ?
यह दो प्रकार की बतलाई गई है, यथा- १. आगमतः तथा २. नोआगमतः ।
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