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अनुमान प्रमाण दृष्टसाधर्म्यवत् अनुमान
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भावार्थ - आश्रयनिष्पन्न ( शेषवत् ) अनुमान का क्या स्वरूप है ?
धुएँ से अग्नि का, बगुलों से जल का, बादलों के विशेष रूप से वर्षा का तथा शील और समाचार से उत्तम आचार से कुलपुत्र का जो अनुमान होता है, वह आश्रयप्रसूत अनुमान है।
यह आश्रयनिष्पन्न का स्वरूप है ?
यह शेषवत् अनुमान का निरूपण है।
३. दृष्टसाधर्म्यवत् अनुमान
से किं तं दिट्ठसाहम्मवं?
दिट्ठसाहम्मवं दुविहं पण्णत्तं । तंजहा - सामण्णदिट्टं च १ विसेसदिट्टं च २ । शब्दार्थ - सामण्णदिट्ठ - सामान्य दृष्ट, विसेसदिट्टं - विशेष दृष्ट |
भावार्थ - दृष्टसाधर्म्यवत् अनुमान कितने प्रकार का है?
यह दो प्रकार का कहा गया है
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१. सामान्य दृष्ट तथा २. विशेष दृष्ट ।
विवेचन यहाँ प्रयुक्त साधर्म्य शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार है धर्मेण सहितः सधर्मः, सधर्मस्य भावः साधर्म्यम् - धर्म शब्द स्वभाव, गुण, वैशिष्ट्य आदि अनेक अर्थों का बोधक है। जिनका धर्म, गुण, स्वरूप या वैशिष्ट्य एक समान होता है, उसे सधर्म कहा जाता है । सधर्म से भाववाचक संज्ञा साधर्म्य बनती है।
इस अनुमान का आधार सदृशगुणयुक्ता, विशेषता या तज्जनित पहचान है।
.से किं तं सामण्णदिट्ठे ?
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सामण्णदिट्ठ - जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा, जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा, जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो । सेत्तं सामण्णदिट्ठ ।
भावार्थ - सामान्यदृष्ट का क्या स्वरूप है?
जैसे एक पुरुष होता है, वैसे बहुत से पुरुष होते हैं । जैसे बहुत से पुरुष होते हैं, वैसा एक पुरुष होता है। जैसे एक कार्षापण स्वर्णमुद्रा होती है, वैसी अनेक स्वर्णमुद्राएँ होती हैं। जैसे बहुत-सी स्वर्णमुद्राएँ होती हैं, वैसी ही एक स्वर्णमुद्रा होती है।
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