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अनुयोगद्वार सूत्र
मोरं पिच्छेणं, आसं खुरेणं, वग्धं णहेणं, चमरिं वालग्गेणं, वाणरं लंगूलेणं, दुपयं मणुस्साइ, चउप्पयं गव(या)माइ, बहुपयं गोमियाइ, सीहं केसरेणं, वसई ककुहेण, महिलं वलयबाहाए,
गाहा - परियरबंधेण भडं, जाणिज्जा महिलियं णिवसणेणं।
___ सित्थेण दोणपागं, कविं च एक्काए गाहाए॥२॥ सेत्तं अवयवेणं। शब्दार्थ - सिहाएणं - शिखा द्वारा (कलंगी द्वारा), विसाणेणं - बाहर निकले हुए दांत, वराहं - सूअर, दाढाए - दंष्ट्रा द्वारा, पिच्छेणं - पंखों द्वारा, आसं - घोड़ा, वग्धं - व्याघ्रबाघ, णहेणं - नख द्वारा, चमरिं - चँवरी गाय, बालग्गेणं - पूँछ के केश समूह द्वारा, लंगूलेणं - पूँछ द्वारा, गवमाइ - गाय आदि, गोमियाइ - गोमिका - शतपद, कनखजूरा आदि, केसरेणं - अयाल से, ककुहेणं - थूही द्वारा, वलयबाहाए - कंकणयुक्त भुजा द्वारा, परियरबंधेणं - कमरबंधे से, जाणिजा - जानना चाहिए, णिवसणेणं - वस्त्र द्वारा, सित्थेणदाने से, दोणपागं - बड़े बर्तन में पकाए जाते पदार्थ का, एक्काए - एक।
भावार्थ - अवयवनिष्पन्न अनुमान का क्या स्वरूप है?
सींग से भैंसे का, शिखा से मुर्गे का, बाहर निकले दाँत से हाथी का, दाढ से सूअर का, पंखों से मयूर का, खुरों से अश्व का, नखों से बाघ का, पूँछ के बालों से चँवरी गाय का, पूँछ से लंगूर (वानर) का तथा द्विपदों से मनुष्यों को, चतुष्पदों से गाय आदि को, बहुपदों से गोमिका आदि को, सिंह को अयाल से, वृषभ का थूही से, स्त्री का कंकणयुक्त बाहु से जो अनुमान होता है, वह अवयवनिष्पन्न है।
गाथा - कमरबंध द्वारा योद्धा को, वस्त्र (विशेष) द्वारा महिला को, एक दाने से द्रोण पाक को तथा एक गाथा पद से कवि का ज्ञान होता है।
यह अवयवनिष्पन्न का दूसरा उदाहरण है। यह अवयवनिष्पन्न का स्वरूप है। से किं तं आसएणं?
आसएणं - अग्गिं धूमेणं, सलिलं बलागेणं, वुद्धिं अब्भविगारेणं, कुलपुत्तं सीलसमायारेणं। सेत्तं आसएणं। सेत्तं सेसवं।
शब्दार्थ - अग्गिं - अग्नि को, सलिलं - जल, बलागेणं - बगुलों द्वारा, वुट्टि - वृष्टिवर्षा, अब्भविगारेणं - बादलों के विशेष रूप का, सीलसमायारेणं - शील-समाचार से।
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