________________
अनुयोगद्वार सूत्र
तंजा - खएणं वा, वण्णेण वा, लंछणेण वा, मसेण वा, तिलएण वा । सेत्तं
पुव्ववं ।
३६६
माता, पुत्तं पुत्र को, जहा जैसे, णट्टं खोए हुए, जुवाणं युवा, पुणरागयं - पुनरागत, काइ - कोई, पच्चभिजाणेज्जा - पहचान कर लेती है, केणड़ - घाव का चिह्न, वण्णेण - व्रण - घाव ठीक होने पर शेष निशान, लंछणेण
किसी, ख लांछन - डाम ।
शब्दार्थ - माया
-
आसएणं ५ ।
-
भावार्थ - पूर्ववत् का क्या स्वरूप है ?
गाथा जैसे कोई माता (बचपन में ) अपने खोये हुए पुत्र को युवावस्था में पुनः आया
हुआ देखकर उसके पूर्वचिह्नों से उसे पहचान लेती है, वह पूर्ववत् अनुमान है। .
जैसे घाव का निशान, व्रण, मस्सा, डाम, तिल आदि से पूर्व परिचित की पहचान हो
जाती है।
-
यह पूर्ववत् अनुमान का निरूपण है।
Jain Education International
-
से किं तं सेसवं?
सेसवं पंचविहं पण्णत्तं । तंजहा - कज्जेणं १ कारणेणं २ गुणेणं ३ अवयवेणं ४
२. शेषवत् अनुमान
-
-
शब्दार्थ - कज्जेण कार्य द्वारा, कारणेण भावार्थ - शेषवत् अनुमान कितने प्रकार का है ?
से
-
यह पांच प्रकार का कहा गया है। १. कार्य से २. कारण से ३. गुण तथा ५. आश्रय से।
से किं तं कज्जेणं ?
कज्जेणं - संखं सद्देणं, भेरिं ताडिएणं, वसभं ढक्किएणं, मोरं किंकाइेणं, हयं सिणं, गयं गुलगुलाइएणं, रहं घणघणाइएणं । सेत्तं कज्जेणं ।
शब्दार्थ - सद्देणं - शब्द द्वारा, ताडिएणं - ताड़न द्वारा, ढक्किएणं - दडूकने द्वारा, किकाइएणं - केका द्वारा, हेसियेणं - हिनहिनाहट द्वारा, गुलगुलाइएणं - गुलगुलाहट द्वारा ।
-
कारण द्वारा, आसएणं - आश्रय द्वारा ।
For Personal & Private Use Only
४. अवयव से
www.jainelibrary.org