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चौबीस दंडकवर्ती जीव-शरीर-निरूपण
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चौबीस दंडकवर्ती जीव-शरीर-निरूपण णेरइयाणं भंते! कइ सरीरा पण्णत्ता? " गोयमा! तओ सरीरा पण्णत्ता। तंजहा - वेउव्विए १ तेयए २ कम्मए ३। भावार्थ - हे भगवन्! नैरयिकों के कितने शरीर बतलाए गए हैं? हे आयुष्मन् गौतम! इनके तीन शरीर परिज्ञापित हुए हैं - १. वैक्रिय २. तैजस और ३. कार्मण। असुरकुमाराणं भंते! कइ सरीरा पण्णत्ता?
गोयमा! तओ सरीरा पण्णत्ता। तंजहा - वेउव्विए १ तेयए २ कम्मए ३। एवं तिण्णि तिण्णि एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणियव्वा।
भावार्थ - हे भगवन्! असुरकुमारों के कितने शरीर प्रज्ञप्त हुए हैं? हे आयुष्यमन् गौतम! इनके तीन शरीर कहे गए हैं - १. वैक्रिय २. तैजस और ३. कार्मण। इसी प्रकार तीन-तीन शरीर स्तनितकुमार पर्यन्त सभी भवनपति देवों के कथनीय हैं। पुढविकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पण्णत्ता?
गोयमा! तओ सरीरा. पण्णत्ता। तंजहा - ओरालिए १ तेयए २ कम्मए ३। एवं आउतेउवणस्सइकाइयाण वि एए चेव तिण्णि सरीरा भाणियव्वा।
वाउकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पण्णत्ता?
गोयमा! चत्तारि सरीरा पण्णत्ता। तंजहा - ओरालिए १ वेउव्विए २ तेयए ३ कम्मए ।
भावार्थ - हे भगवन्! पृथ्वीकायिक जीवों के कितने शरीर कहे गए हैं?
हे आयुष्मन गौतम! इनके १. औदारिक २. तैजस और ३. कार्मण के रूप में तीन शरीर परिज्ञापित हुए हैं।
इसी प्रकार अप्कायिक, तैजसकायिक और वनस्पतिकायिक जीवों के भी तीन-तीन शरीर कथनीय हैं।
हे भगवन्! वायुकायिक जीवों के कितने शरीर प्रज्ञप्त हुए हैं?
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