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दस नाम - तद्धितनिष्पन्न भावप्रमाणनाम
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__ जिसमें एक शेष रहता है, वह एकशेष समास कहलाता है। अर्थात् - जैसे एक पुरुष वैसे ही अनेक पुरुष तथा जैसे बहुत से पुरुष वैसा (ही) एक पुरुष, जैसे एक कार्षापण वैसे ही अनेक कार्षापण और जैसे बहुत से कार्षापण उसी प्रकार एक कार्षापण, जैसे एक शालि धान्य उसी प्रकार अनेक शालि धान्य एवं जैसे बहुत से शालि धान्य उसी प्रकार एक शालि धान्य।
यह एकशेष समास है। इस प्रकार समास का निरूपण परिसमाप्त होता है।
विवेचन - ऊपर जो उदाहरण दिये गये हैं, वे समानार्थक पुरुष या वस्तु से संबंधित हैं। समानार्थक एक पुरुष जब दो बार आए और दोनों को समस्त पद के रूप में कहा जाये तो एक ही शेष रहता है, एक का लोप हो जाता है। इस सूत्र में पहला उदाहरण ‘एगो पुरिसो' है। प्राकृत भाषा में 'जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा' ऐसा आने पर उनका समास करने पर, 'पुरिसो' ही शेष रहेगा। यद्यपि एक पुरुष के दो बार आने पर समासान्त पद में द्विवचन का रूप आना चाहिए, परन्तु प्राकृत भाषा में द्विवचन का प्रयोग नहीं होता। एकवचन और बहुवचन का ही प्रयोग होता है। संस्कृत में एकवचन द्विवचन एवं बहुवचन के रूप में तीन वचन होते हैं।
प्राकृत में बहुवचन में जब समानार्थक दो पदों का समास होता है तो अन्त में एक ही बहुवचनान्त पद 'पुरिसा' रह जाता है। इसी प्रकार अन्य उदाहरण भी ज्ञातव्य हैं।
२. तद्धितनिष्पन्न भावप्रमाणनाम से किं तं तद्धितए? तद्धितए अट्ठविहे पण्णत्ते। तंजहा - गाहा - कम्मे सिप्पे सिलोए, संजोग समीवओ य संजूहो।
___इस्सरिय अवच्चेण य, तद्धितणामं तु अट्टविहं॥१॥ भावार्थ - तद्धितनाम कितने प्रकार के हैं?
तद्धितनाम आठ प्रकार के हैं (निम्नांकित आठ विधाओं पर आधारित है) - १. कर्म २. शिल्प ३. श्लोक ४. संयोग ५. समीप ६. संयूथ ७. ऐश्वर्य एवं ८. अपत्य। . विवेचन - तद्धित शब्द व्याकरणशास्त्र में विशेष रूप से प्रयुक्त हैं। 'तेभ्यो हिताः तद्धिताः' इस व्युत्पत्ति के अनुसार जो प्रत्यय उन-उन प्रयोगों - स्वसंबंध प्रयोगों के लिए हितकर हों, उन्हें तद्धित कहा जाता है।
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