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अंगुलत्रयः अल्प-बहुत्व
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सिविय - शिविका-पालखी - दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा वाहित, संदमाणियाओ - द्रुतगामी यान विशेष, लोही - लोहपात्र, लोहकडाह - लोह की बड़ी कड़ाही, कडिल्लय - कुड़छा, भंड - भांड-बर्तन, पत्त - पात्र, उवगरण - उपकरण-सामग्री, आईणि - इत्यादि, अज्जकालियाई - अद्यकालिक - वर्तमानकालिक, मविज्जति - मापे जाते हैं।
भावार्थ - आत्मांगुल प्रमाण का क्या उद्देश्य है?
इस आत्मांगुल प्रमाण से कूप, तड़ाग, द्रह, नदी, वापी, पुष्करिणी, दीर्घिका, गुंजालिका, सरोवर, सरोवर पंक्तियाँ, परस्पर प्रणालिकाओं से संलग्न सरोवर पंक्तियाँ, छोटी-छोटी कुइयाँ, आराम, उद्यान, कानन, वन, वनखंड, वनराजियाँ, देवस्थान, सभास्थल, प्रपा, स्तूप, खाइ, परिखा, प्राकार अट्टालक, चरिका, द्वार, गोपुर, प्रासाद, गृह, शरण, लयन, बाजार, संघाटक, त्रिक, चतुष्क, चत्वर, चतुर्मुख, महापथ, पथ, शकट, रथ, यान, युग्य, गिल्लि, थिल्लि, शिविका, स्यंदमानिका, लोही, लोहकटाह, कुड़छा, भांड, पात्र, उपकरण आदि वर्तमान में प्राप्त साधन सामग्री एवं योजन को मापा जाता है।
- आत्मागुल के प्रकार से समासओ तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - सूईअंगुले १ पयरंगुले २ घणंगुले ३। अंगुलायया एगपएसिया सेढी सूई अंगुले, सूई सूईगुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणियं घणंगुले। . .
शब्दार्थ - समासओ - सार रूप में, अंगुलायया - एक अंगुल लम्बी। भावार्थ - संक्षेप में अंगुल तीन प्रकार के हैं - १. सूचि अंगुल २. प्रतर अंगुल ३. घन अंगुल।
एक अंगुल लंबी, एक प्रदेश चौड़ी आकाश श्रेणी सूचि अंगुल है। सूचि से सूचि को गुणित करने पर प्राप्त गुणनफल प्रतर अंगुल है। प्रतर को सूचि से गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल घणांगुल है।
. अंगुलत्रयः अल्प-बहुत्व एएसि णं भंते! सूइअंगुलपयरंगुलघणंगुलाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
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