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अनुयोगद्वार सूत्र
. व्यावहारिक परमाणु अणंताणं ववहारियपरमाणुपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं - सा एगा उसहसण्हियाइ वा, सहसण्हियाइ वा, उढरेणूइ वा, तसरेणूइ वा, रहरेणूइ वा। अट्ठ उसण्हसण्हियाओ - सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ - सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ - सा एगा तसरेणु, अट्ठ तसरेणूओ - सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ - देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुयाणं से एगे वालग्गे, अट्ट देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुयाणं वालग्गा - हरिवासरम्मगवासाणं मणुयाणं से एगे वालग्गे, अट्ठ हरिवासरम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा - हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं वालग्गा - पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा - भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा - सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ - सा एगा जूया, अट्ठ जूयाओ - से एगे जवमझे, अट्ट जवमझे - से एगे अंगुले।
शब्दार्थ - उसण्हसण्हियाइ - उत्श्लक्षणश्लक्ष्णिका, सहसण्हियाइ - श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, उहरेणूइ - ऊर्ध्वरेणु, तसरेणूइ - त्रसरेणु, रहरेणूडू - रथरेणु, वालग्गे - बालाग्र, लिक्खा - लीख। ___ भावार्थ - अनंतानंत व्यावहारिक परमाणु पुद्गलों के समुदय-समिति-समागम - एकीभाव से एक उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, ऊर्ध्वरेणु, त्रसरेणु तथा रथरेणु निष्पन्न होता है। आठ उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिकाओं से एक श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, आठ श्लक्ष्ण-श्लक्ष्णिकाओं से एक ऊर्ध्वरेणु, आठ ऊर्ध्वरेणुओं से एक त्रसरेणु, आठ त्रसरेणुओं से एक रथरेणु, आठ रथरेणुओं से देवकुरुउत्तरकुरु के मनुष्यों का एक बालाग्र, देवकुरु-उत्तरकुरु के मनुष्यों के आठ बालारों से हरिवर्षरम्यक्वर्ष के मनुष्यों का एक बालाग्र, हरिवर्ष-रम्यक् वर्ष के मनुष्यों के आठ बालागों से हैमवत-हैरण्यवत क्षेत्र के मनुष्यों का एक बालाग्र, हैमवत-हैरण्यवत क्षेत्र के मनुष्यों के आठ बालागों से पूर्व महाविदेह तथा अपर महाविदेह के मनुष्यों का एक बालाग्र, पूर्व विदेह एवं अपरविदेह के मनुष्यों के आठ बालारों से भरतऐरावत क्षेत्र के मनुष्यों का एक बालाग्र, भरत
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