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अनुयोगद्वार सूत्र
शब्दार्थ - समासओ - समस्त रूप में-संक्षेप में। भावार्थ - वह (उत्सेधांगुल) संक्षेप में तीन प्रकार का बतलाया गया है, यथा - १. सूचि अंगुल २. प्रतरांगुल एवं ३. घनांगुल। .
एक अंगुल लम्बी तथा एक प्रदेश चौड़ी (आकाश प्रदेशों की) श्रेणी को सूचि अंगुल कहते हैं। सूचि को सूचि से गुणित करने पर प्रतर अंगुल निष्पन्न होता है तथा सूचि अंगुल को प्रतरांगुल से गुणित करने पर घनांगुल निष्पत्ति पाता है। सूचि अंगुल में केवल लंबाई का, प्रतर अंगुल में लम्बाई और चौड़ाई का तथा घनागुल में लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई-तीनों का ग्रहण होता है। ___ एएसि णं सूरअंगुलपयरंगुलघणंगुलाणं कयरे कयरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा?
सव्वत्थोवे सूइअंगुले, पयरंगुले असंखेजगुणे, घणंगुले संखेजगुणे। सेत्तं उस्सेहंगुले। ___ भावार्थ - इन सूचि अंगुल, प्रतरांगुल एवं घनांगुल में कौन-किससे, कितना अल्प, बहुत, तुल्य (समान) या विशेषाधिक है?
. इनमें सूचि अंगुल सर्वस्तोक - सबसे छोटा, प्रतरांगुल इससे असंख्यात गुना और घनांगुल इससे (प्रतरांगुल से) असंख्यात गुणा है। यह उत्सेधांगुल का स्वरूप निरूपण है।
३. प्रमाणांगुल से किं तं पमाणंगुले?
पमाणंगले - एगमेगस्स रणो चाउरंतचक्कवहिस्स अट्टसोवण्णिए कागणीरयणे छत्तले दुवालसंसिए अट्टकण्णिए अहिगरणसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तस्स णं एगमेगा कोडी उस्सेहंगुलविक्खंभा, तं समणस्स भगवओ महावीरस्स अद्धंगुलं, तं सहस्सगुणं पमाणंगुलं भवइ।
शब्दार्थ - एगमेगस्स - एक मात्र, रण्णो - राजा का, चाउरंत चक्कवटिस्स - चातुरंत चक्रवर्ती के - चारों दिशाओं के एकमात्र शासक, छत्तले - छह तलों - छह परतों से युक्त,
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