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अनुयोगद्वार सूत्र
यह उन्मान प्रमाण का स्वरूप है।
विवेचन - ऊपर धान्यमान और रसमान प्रमाण की चर्चा हुई है, जो ठोस एवं तरल पदार्थों के संदर्भ में है। जड़ी बूटियाँ, औषधियाँ आदि का तौल इन दोनों की अपेक्षा सूक्ष्म है। क्योंकि वे बहुमूल्य हैं, इनके तौल के अपने छोटे बाट होते हैं। उनका मान या प्रमाण उच्चकोटि का है। इसलिए मान के पूर्व उत् उपसर्ग लगा है। उत् - उत्कर्ष या प्रकर्ष द्योतक है। जैसे - उत्+कृष्ट - उत्कृष्ट, उत्+तम - उत्तम।
उन्मान शब्द की व्युत्पत्ति दो प्रकार से की जा सकती है। उन्मान का अर्थ 'यत् उन्मीयते तत् उन्मानम्' के अनुसार वे पदार्थ हैं, जिनका माप - तौल किया जाता है। 'येन उन्मीयते तत् उन्मानम्' जिसके द्वारा उन्मान किया जाय या तौला जाय, वह उन्मान है। इस व्युत्पत्ति के अनुसार छोटा कांटा आदि साधन उन्मान कहे जाते हैं, जिनसे औषधियाँ आदि तौली जाती है।
अवमान प्रमाण से किं तं ओमाणे?
ओमाणे-जंणं ओमिणिजइ, तंजहा - हत्थेण वा, दंडेण वा, धणुक्केण वा, जुगेण वा, णालियाए वा, अक्खेण वा, मुसलेण वा। . गाहा - दंड धणू जुग णालिया य, अक्ख मुसलं च चउहत्थं।
दसणालियं च रज्जु, वियाण ओमाणसण्णाए॥१॥ वत्थुम्मि हत्थमेजं, खित्ते दंडं धणुंच पत्थम्मि।
खायं च णालियाए, वियाण ओमाणसण्णाए॥२॥ शब्दार्थ - ओमाणे - अवमान, ओमिणिजइ - अवमान किया जाता है, धणुक्केण - धनुष द्वारा, जुगेण - युग से, अक्खेण - अक्ष या गाड़ी की धुरी द्वारा, पत्थम्मि - मार्ग में, खायं - खाई को, वियाण - जानो, वत्थुम्मि - वास्तु में - गृहभूमि में।
भावार्थ - अवमान का क्या स्वरूप है? __जिसके द्वारा नाप किया जाता है, उसे अवमान कहते हैं। हाथ द्वारा, दंड द्वारा, धनुष द्वारा, युग द्वारा, नालिका द्वारा, अक्ष द्वारा या मूसल द्वारा अवमान किया जाता है।
गाथाएँ - दंड, धनुष, युग, नालिका, अक्ष तथा मूसल - ये चार-चार हाथ होते हैं। दस
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