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दस नाम - अपत्य नाम
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'ईश्वरस्य भावः ऐश्वर्यम्' ईश्वर का अर्थ समर्थ या शक्तिशाली होता है। ऐश्वर्य या सामर्थ्य राज्यसत्ता, उच्चपद, सेनापतित्व, धन-वैभव, राज मान्यता, समाज मान्यता, विशाल कुटुम्ब इत्यादि पर आधारित है। केवल वह धन का बोधक नहीं है। यहाँ आए हुए पद विभिन्न प्रकार के ऐश्वर्य, सत्ता, प्रभाव, शक्तिमत्ता, मान्यता आदि से संबद्ध हैं।
राजेश्वर - विशाल राज्य के अधिनायक नरपति। तलवर - राज्य सम्मानित. विशिष्ट नागरिक। माइंबिक - जागीरदार या भूस्वामी। कौटुंबिक - विशाल परिवारों के प्रमुखजन। इभ्य* - अत्यधिक संपत्तिशाली। श्रेष्ठी - नगर सम्मानित श्रेष्ठ पुरुष (सेठ)। सार्थवाह - बड़े सामुद्रिक व्यापारी। सेनापति - सेना के उच्च अधिकारी।
८. अपत्य नाम से किं तं अवच्चणामे?
अवच्चणामे अरहतमाया, चक्कवविट्टमाया, बलदेवमाया, वासुदेवमाया, रायमाया, मुणिमाया, वायगमाया। सेत्तं अवच्चणामे। सेत्तं तद्धियए।
शब्दार्थ - अवच्चणामे - अपत्यनाम। भावार्थ - अपत्य नाम किसे कहा जाता है?
अर्हत् - तीर्थकर - माता, चक्रवर्ती - माता, बलदेव - माता, वासुदेव - माता, राजमाता, मुनिमाता, वाचकमाता - यह अपत्यनाम का स्वरूप है।
इस प्रकार तद्धितनाम की वक्तव्यता परिसमाप्त होती है।
विवेचन - वस्तुतः अपत्य का अर्थ पुत्र है। पुत्र के नाम से यहाँ माता का संसूचन किया गया है।
★ इभ' का अर्थ हाथी होता है। 'इम्य' इसका तद्धित प्रत्यान्त शब्द है। जिन धनियों की संपत्ति इतनी विशाल होती थी कि जिनके अधिकृत स्वर्ण, रत्न आदि के ढेर से खड़े हुए हाथी का शरीर ढक जाए, वे इभ्य कहे जाते थे।
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